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26 मार्च 2010

रबर में जबरदस्त उछाल से टायर कंपनियां दबाव में

कोच्चि March 25, 2010
हाल के दिनों में प्राकृतिक रबर की कीमतों में असामान्य उछाल की वजह से घरेलू टायर कंपनियां एक बार फिर खासे दबाव में हैं।
केवल 4 सप्ताह की अवधि में बेंच मार्क ग्रेड आरएसएस-4 का भाव 10 प्रतिशत बढ़कर 155 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर जा पहुंचा। टायर विनिर्माण की प्रमुख सामग्री की कीमत में उछाल से देश की प्रमुख टायर कंपनियां इस वर्ष दूसरी बार टायर की कीमतें बढ़ने के लिए मजबूर हुईं हैं।
तमाम तरह के टायरों की कीमतों में बढ़ोतरी किए जाने का फैसला फिलहाल विचाराधीन है और इस बात की पूरी संभावना है कि अगले 2 महीने के भीतर इस पर अमल किया जाएगा।
बड़ी टायर कंपनियां इस बात की पूरी कोशिश कर रही हैं कि कीमतें नहीं बढ़ाई जाएं, लेकिन रबर की कीमत बढ़ने की वजह से उनकी उत्पादन लागत इतनी बढ़ गई है कि उन्हें मूल्य रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जनवरी में टायर की कीमतें 2-7 प्रतिशत बढ़ी थीं।
अपोलो टायर्स के मुख्य विनिर्माण एवं विपणन अधिकारी सतीश शर्मा ने कहा, 'टायरों की उत्पादन लागत में तकरीबन 50 फीसदी हिस्सा प्राकृतिक रबर का होता है। अब रबर लगातार महंगा हो रहा है यही वजह है कि टायरों की कीमतें एक बार फिर बढ़ेंगी। हम निश्चित रूप से इस बारे में सोचेंगे। इस वर्ष अप्रैल से टायरों पर उत्पाद शुल्क भी बढ़ने वाला है। इसलिए इसके बाद हम कीमतें बढ़ाने पर विचार करेंगे।'
उन्होंने कहा कि टायरों की कीमतें बढ़ाने का फैसला केवल रबर के भाव बढ़ने से सीधे-सीधे संबंधित नहीं है। प्रतिस्पर्द्धी कंपनियों की मूल्य रणनीति भी इसकी प्रमुख वजहों में से एक है। जे के टायर्स के निदेशक (विपणन) ए एस मेहता ने कहा, 'कीमतें बढ़ानी पड़ेगी। आप मूल्य वृद्धि किए बगैर उत्पादन प्रबंधन नहीं कर सकते। क्योंकि रबर की कीमत बढ़ने से टायर उद्योग पर काफी दबाव है।
इससे केवल टायर कंपनियां ही प्रभावित नहीं हो रही हैं, बल्कि देश में रबर आधारित तमाम उद्योग इसके लपेटे में आ रहे हैं।' उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी एक सप्ताह के भीतर कीमतें बढ़ाने के मसले पर फैसला करेगी। देश की तमाम टायर विनिर्माता कंपनियां इसी तरह की सोच रखती हैं।
वजह यह है कि इसके प्रमुख घटक रबड़ के भाव बढ़ने से उनके मुनाफे पर बहुत ज्यादा दबाव है। गौरतलब है कि घरेलू टायर उद्योग विदेशी कंपनियों की ओर से भी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है क्योंकि उन्हें तुलनात्मक रूप से सस्ते प्राकृतिक रबर उपलब्ध हो रहे हैं। देश में फिलहाल रबर की कीमत सिंगापुर में इसकी कीमत से 5 रुपये प्रति किलोग्राम अधिक है। (बीएस हिंदी)

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