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19 अप्रैल 2010

अब कम कीमतों पर भी बाजार में नहीं मिल रहे हैं चीनी के खरीदार

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक अभी कीमतों में और कमी आने तक सरकार को बरतनी चाहिए सख्ती, मिलें कर रही हैं आयात पर रोक लगाने की मांग
सत्येन्द्र प्रताप सिंह / नई दिल्ली April 19, 2010
सामान्यतया गर्मी के दिनों में चीनी की मांग बढ़ जाती है। लेकिन इस साल स्थिति अलग है। चीनी की कीमतें गिरने के बावजूद बाजार से खरीदार गायब हैं।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी की कीमतों में अभी सरकार को सख्ती जारी रखनी चाहिए, जिससे कीमतें 22 से 25 रुपये प्रति किलो पर आएं। वहीं मिल मालिकों का कहना है कि उन्हें घाटा हो रहा है और सरकार को चीनी के आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए।
पिछले साल चीनी को लेकर मची अफरातफरी और कीमतों में तेज बढ़ोतरी के बाद भारत सरकार द्वारा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कड़े कदमों से चीनी की कीमतें पिछले 3 महीने में घटी हैं। चीनी का उत्पादन बढ़ने के अनुमान और वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में फरवरी की शुरुआत से ही तेज गिरावट के चलते घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें थम गईं।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में चीनी की कीमतें जहां 7 जनवरी को 3,972.3 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थीं, वहां अब कीमतें करीब एक तिहाई घट चुकी हैं। इस समय चीनी की कीमतें गिरकर 2670-2725 रुपये प्रति क्विंटल के बीच आ गई हैं।
मार्च में एक्स मिल कीमतें 3250 रुपये प्रति क्विंटल थीं। खुदरा बाजार में जहां दो महीने पहले उपभोक्ताओं को एक किलो चीनी के लिए 45 रुपये खर्च करने पड़ते थे, अब कीमतें गिरकर 34 रुपये प्रति किलो के आसपास आ गई हैं।
आइस्क्रीम और शीतल पेय बनाने वाली कंपनियों की हिस्सेदारी देश की कुल 230 लाख टन चीनी खपत में 60 प्रतिशत है। इन कंपनियों ने आयात में छूट का फायदा उठाकर अंतरराष्ट्रीय बाजारों से चीनी मंगाना शुरू कर दिया। इन कंपनियों को 10 दिन से ज्यादा स्टॉक रखने पर रोक लगा दी गई, जिसके चलते कंपनियों ने आयात करना शुरू कर दिया, जिस पर स्टॉक सीमा लागू नहीं है।
सिंभावली शुगर्स के निदेशक संजय तापड़िया ने कहा- बड़ी बेवरेज कंपनियों ने पहले ही आयात कर लिया है, जिसकी वजह से वे इस समय बाजार में चीनी की खरीदारी से दूर हैं। जहां दिसंबर तक गन्ने की कमी और मिलें पहले बंद होने के अनुमान लग रहे थे, ताजा रिपोर्टों के मुताबिक इस साल मिलें पूरे समय तक चलेंगी।
वहीं मिलों का कहना है कि चीनी की वर्तमान दरों पर उन्हें चीनी उत्पादन में 500 रुपये प्रति टन का घाटा हो रहा है। सरकार के गलत अनुमानों और चीनी की कमी के बयानों के साथ कीमतें बढ़ती गईं और जब सच्चाई सामने आई तो चीनी की कीमतें खुद-ब-खुद सामान्य होने लगीं।
दिसंबर 2009 तक के सरकारी अनुमानों के मुताबिक भारत में कुल 140 से 150 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान था। बाद में 18 मार्च 2010 को संशोधित अनुमान आया, जिसमें कहा गया कि चीनी का उत्पादन 180 लाख टन हो सकता है।
शुरुआत में उत्पादन कम होने के अनुमान के चलते चीनी की कीमतों में बेतहाशा वृध्दि हुई और जमकर आयात भी हुआ। लेकिन जब खबरें आने लगीं कि चीनी मिलें मई तक चलेंगी और गन्ने की कहीं कोई कमी नहीं है तो कीमतें गिरने लगीं।
वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ देवेंदर शर्मा ने कहा, 'मिलों ने पिछले एक साल में बेतहाशा कमाई की है। अभी भी खुदरा बाजार में चीनी 34 रुपये किलो बिक रही है। सरकार को अभी सख्ती और बढ़ानी चाहिए, जिससे कीमतें 22 रुपये प्रति किलो से नीचे आएं।'
उन्होंने कहा कि गलत अनुमान और चीनी की कमी दिखाकर पिछले 1 साल में मिलों ने मोटी कमाई की और अब जब कीमतें अंतरराष्ट्रीय मूल्यों के करीब आ रही हैं तो मिलें सरकार से छूट मांग रही हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और बलरामपुर चीनी के प्रबंध निदेशक विवेक सरावगी ने कहा, 'इस साल किसानों को गन्ने के ज्यादा दाम मिले हैं, जिससे वे अब और गन्ना उगाएंगे। अगले सत्र में चीनी का उत्पादन और ज्यादा होने का अनुमान है और चीनी की कीमतों में गिरावट हो रही है।
ऐसे में सरकार को उन मानकों में ढील देनी चाहिए, जो उसने कीमतें कम करने के लिए लागू किया था। अगर वर्तमान नीति जारी रही तो इससे चीनी उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और किसानों को दिया जाने वाला गन्ने का भुगतान भी प्रभावित होगा। वैश्विक कीमतों में तेज गिरावट को देखते हुए सरकार को जल्द से जल्द कदम उठाना चाहिए।'
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत में 50 लाख टन चीनी का रिकॉर्ड आयात हुआ। इसकी वजह से न्यूयार्क रॉ शुगर फ्यूचर 1 फरवरी को 29 साल के उच्चतम स्तर 30.40 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गया।
1 अक्टूबर से 31 दिसंबर के बीच हुए चीनी आयात के आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान कुल 18,47,081 टन कच्ची चीनी का आयात हुआ और 3,71,076 टन सफेद चीनी का आयात विभिन्न आयातकों ने किया। चीनी उत्पादकों की मांग है कि उत्पादन के बढ़ते अनुमानों के बीच सरकार को चीनी आयात पर तत्काल रोक लगानी चाहिए, जिससे घरेलू उद्योग को बचाया जा सके।
कुछ यूं आए अनुमान और साथ चले चीनी के दाम
चीनी सत्र की शुरुआत में चीनी उत्पादन का अनुमान- 140-150 लाख टनचीनी की एक्स मिल कीमतें 7 जनवरी को 3,972।3 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पर मार्च में चीनी उत्पादन का संशोधित अनुमान- 180 लाख टनमार्च में चीनी की एक्स मिल कीमतें- 3250 रुपये प्रति क्विंटलअगले चीनी सत्र में चीनी उत्पादन का अनुमान- 200-230 लाख टनवर्तमान में चीनी की एक्स मिल कीमतें- 2670-2725 रुपये प्रति क्विंटल (बीएस हिंदी)

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