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21 अप्रैल 2010

कॉटन निर्यात पर लगी रोक

कॉटन के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए शुल्क लगाने का फैसला बेअसर साबित होने के बाद सरकार ने इसके निर्यात पर ही रोक लगाने का कदम उठा लिया है। कपड़ा मंत्रालय द्वारा 19 अप्रैल को जारी अधिसूचना के अनुसार निर्यात के लिए कॉटन के नए निर्यात सौदों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा तथा अभी तक पंजीकृत हो चुके सौदों के निर्यात के लिए भी निर्यातकों को टैक्सटाइल कमिश्नर से दुबारा मंजूरी लेनी होगी। लेकिन कॉटन निर्यात पर रोक ऐसे समय में लगाई गई है, जब कपास की नई फसल की बुवाई अगले माह शुरू होने वाली है। इससे पहले आठ अप्रैल को सरकार ने कॉटन के निर्यात पर 2500 रुपये प्रति टन की दर से निर्यात शुल्क लगाया था तथा कॉटन यार्न के निर्यात सौदों का टेक्सटाइल कमिश्नर के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था। कपड़ा मंत्रालय के अनुसार निर्यात में जबर्दस्त बढ़ोतरी होने से घरलू बाजार में कॉटन के दाम लगातार बढ़ रहे हैं तथा घरलू बाजार में टैक्सटाइल उद्योग के लिए कच्चे माल यानि कॉटन की कमी हो रही है। इसलिए निर्यात पर रोक लगानी पड़ी है। टैक्सटाइल कमिश्नर के सूत्रों के अनुसार पिछले अक्टूबर से शुरू मौजूदा सीजन में 15 अप्रैल तक 60।12 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन की शिपमेंट हो चुकी है। इस दौरान 85.41 लाख गांठ कॉटन निर्यात के सौदे पंजीकृत हो चुके हैं।पिछले साल पूर सीजन (2008-09) के दौरान कुल 35.14 लाख गांठ कॉटन का ही निर्यात हो पाया था। नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि सरकार कॉटन का बकाया स्टॉक 50 लाख गांठ से ज्यादा का रखना चाहती है। हाल ही में कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने चालू सीजन में भारत से करीब 80 लाख गांठ कॉटन निर्यात का अनुमान लगाया था। अगर 80 लाख गांठ का निर्यात हो जाता है तो बकाया स्टॉक 40 लाख गांठ बचता। इसीलिए सरकार ने नए निर्यात सौदों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई है। कनफेडरेशन ऑफ इंडिया टैक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सीआईटीआई) के महानिदेशक डी. के. नायर ने बताया कि कॉटन निर्यात पर रोक ऐसे में समय में लगाई गई है जब किसान कपास बुवाई के प्रति हतोत्साहित हो सकते हैं। अगले महीने से कॉटन की बुवाई शुरू हो जाएगी, ऐसे समय में निर्यात पर रोक इसकी बुवाई पर प्रभाव डाल सकती है। निर्यात पर रोक से कॉटन के दाम घटेंगे तो किसानों की कपास बुवाई में दिलचस्पी घट सकती है। चालू सीजन में अभी तक 60 लाख गांठ से ज्यादा का निर्यात हो चुका है। ऐसे में जो 25 लाख गांठ के निर्यात सौदे पंजीकृत हो चुके हैं उनमें से 10 लाख गांठ के निर्यात की और अनुमति दे सकती है। फरफेक्ट कॉटन कंपनी के चेयरमैन चंदू लाल ठक्कर ने बताया कि सरकार द्वारा निर्यात पर रोक लगाने से घरलू बाजार में कॉटन के दाम स्थिर हो जाएंगे। निर्यात पर रोक लगाने से अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कॉटन की कीमतों में मंगलवार को 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 27,900 से 25,800 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गए। सीएआई के अनुसार चालू सीजन में अभी तक मंडियों में 270 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है जो कुल उत्पादन का करीब 85 फीसदी है। इसीलिए किसानों के पास अब बकाया स्टॉक काफी कम है। ऐसे में निर्यात पर रोक लगाने का असर मौजूदा कीमतों पर आंशिक असर रूप से पड़ने की संभावना है।बात पते कीनिर्यात पर रोक लगाने के बाद अहमदाबाद में शंकर-6 कॉटन के दाम 200 रुपये घटकर 27,900 से 25,800 रुपये प्रति कैंडी रह गए। लेकिन ज्यादा गिरावट की उम्मीद नहीं है उद्योग को। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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