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01 मई 2010

कॉटन निर्यात पर रोक के खिलाफ हड़ताल

कॉटन निर्यात पर रोक के खिलाफ गुजरात के जिनर्स ने हड़ताल कर दी है। ऑल गुजरात जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दलीप पटेल ने बताया कि निर्यात पर रोक से हफ्ते भर में कॉटन की कीमतें करीब पांच फीसदी घट चुकी हैं। उत्तर भारत में कॉटन की बुवाई शुरू हो चुकी है तथा गुजरात और महाराष्ट्र में 15-20 दिनों में शुरू हो जाएगी। इसलिए सरकार को 19 अप्रैल से पहले हुए सौदों (करीब 25 लाख गांठ जिनकी शिपमेंट नहीं हुई है) के निर्यात को मंजूरी दे देनी चाहिए। पटेल ने बताया कि कॉटन सीजन अक्टूबर-09 से 15 अप्रैल-10 के दौरान 85.41 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) के निर्यात सौदे पंजीकृत हो चुके हैं। लेकिन इस दौरान शिपमेंट 60.12 लाख गांठ की ही हुई। अभी 25.29 लाख गांठ का शिपमेंट बाकी है जिसकी अनुमति सरकार को देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि निर्यात पर रोक से कॉटन की कीमतें गिरी हैं। आगे दाम और गिर सकते हैं। बुवाई सीजन शुरू होने से कीमतों में गिरावट का किसानों पर उल्टा असर पड़ सकता है।उन्होंने बताया कि अभी तो हमने दो दिन (29 और 30 अप्रैल) की हड़ताल की है लेकिन अगर सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं तो 5 मई से हम बेमियादी हड़ताल पर जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि गुजरात की मंडियों में कॉटन की कीमतों में पिछले एक सप्ताह में ही 40 रुपये की गिरावट से भाव 690 रुपये प्रति 20 किलो रह गए। उधर न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के मई महीने के वायदा अनुबंध का भाव 28 अप्रैल को 83.63 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ। (बिज़नस bhaskar)

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