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13 अप्रैल 2010

अमेरिका को जैट्रोफा का निर्यात कर सकता है भारत

अहमदाबाद April 12, 2010
भावनगर के सेंट्रल साल्ट ऐंड मेरीन केमिकल रिसर्च इंस्टीटयूट (सीएसएमसीआरआई) और जेनरल मोटर्स (जीएम) की शोध परियोजनाओं की मदद से भारत अमेरिका को बायो-डीजल का निर्यात कर सकता है।
दोनों के सहयोग से चलाई जाने वाली परियोजनाओं में व्यावसायिक गुणवत्ता वाले जटरोफा आधारित बायो-डीजल का उत्पादन किया जा रहा है। जनरल मोटर्स ने सोमवार को घोषणा की कि कंपनी ने जैट्रोफा फसल के विकास के लिए भारत के सीएसएमसीआरआई के साथ 5 सालों के लिए हाथ मिलाया है।
जीएम इस परियोजना में 10 लाख डॉलर का निवेश कर ही है। जैट्रोफा को आमतौर पर बेकार घास फूस माना जाता है, लेकिन इससे पर्याप्त मात्रा में तेल निकाला जा सकता है जिसे बायो-डीजल में बदला जा सकता है।
जनरल मोटर्स में तकनीकी सहयोगी कैंडेस सुई व्हीलर का कहना है, 'हम भारत से बायो-डीजल का आयात कर सकते हैं। जटरोफा की फसल पाला बर्दाश्त नहीं कर सकती है। इसलिए अमेरिका में इसकी खेती मुश्किल है। साथ ही इसकी कटाई हाथों से होती है। लिहाजा यह भारत में रोजगार के मौके भी पैदा करेगा। अमेरिका की तुलना में भारत में जटरोफा की खेती के लिए ज्यादा अनुकूल माहौल मौजूद है।'
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में अमेरिका में 60 अरब गैलन डीजल, 140 अरब गैलन गैसोलीन और 0.5 अरब गैलन बायोडीजल का उपभोग होता है। फिलहाल बायो-डीजल की आपूर्ति मुख्य रूप से सोयाबीन, खाद्य तेल और पशु चर्बी से होती है।
उन्होंने कहा, 'बायो-डीजल की कीमत गैसोलीन से थोड़ी ज्यादा है। बायो-डीजल की कीमत 339 डॉलर प्रति गैलन है जबकि गैसोलीन 289 डॉलर प्रति गैलन के भाव पर उपलब्ध है। इस लिहाज से बायो-डीजल के लिए अपार विपणन संभावनाएं हैं।'
हालांकि भारत से अमेरिका को जाने वाली मात्रा का निर्धारण होना अभी बाकी है। जीएम इंडिया में कार्पोरेट मामलों के निदेशक और उपप्रमुख पी बालेंद्रन ने बताया कि जीएम अपने कारों के टेस्ट रन के लिए पिछले दो सालों में सीएसएमसीआरआई से 12,000 लीटर बायो-डीजल मंगा चुकी है।
नए गठजोड़ से दो नई इकाइयों का विकास किया जाएगा। पहली इकाई भावनगर में 33 हेक्टेयर के क्षेत्र में और दूसरी सीएसएमसीआरआई के मौजूदा जैट्रोफा फार्म के नजदीक कलोल में 20 हेक्टेयर भूभाग में विकसित की जाएगी। कुल मिलाकर इस गठजोड़ के तहत 83 हेक्टेयर जमीन में जैट्रोफा की खेती की जाएगी।
सीएसएमसीआरआई के निदेशक पी के घोष ने कहा ने बताया कि प्रति हेक्टेयर करीब 3 टन जटरोफा केफल हासिल होते हैं जिससे करीब 500 लीटर बायो-डीजल का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने स्थानीय किसानों की सहकारिता समूहों की तरफ से जैट्रोफा प्राप्त करने की भी बात कही।
घोष ने कहा, 'चार लोगों का परिवार 5 हेक्टेयर भूमि का प्रबंधन कर सकता है। बाजार में जैट्रोफा के फल की कीमत करीब 8,000 रुपये प्रति टन है। प्रति हेक्टेयर 3 टन फल के हिसाब से एक परिवार हर महीने 24,000 रुपये कमा सकता है। सिंचाई, बीज और दूसरे खर्चों को निकाल दें, तो हर महीने करीब 5,000-6,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की कमाई की जा सकती है।' (बीस हिंदी)

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