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19 अप्रैल 2010

पिघलती धातुओं की कीमतें होने लगी ठोस

April 19, 2010
दुनिया भर में लगातार बढ़ रही मांग की वजह से मूल धातुओं की कीमतें तेजी दिखा रही हैं।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की मजबूती की कहानी दर्शाते विकास के आंकड़े इन धातुओं की कीमतों को और हवा दे रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल धातुओं की कीमतों की तेज रफ्तार का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ रहा है और यही वजह है कि इनसे संबंधित कंपनियां सेहतमंद होती जा रही है।
वैश्विक औद्योगिक मांग की भूख को देखते हुए कहा जा रहा है कि मूल धातुओं की कीमतें अभी और निखर सकती है। अर्थव्यवस्थाओं की मंदी के मकड ज़ाल से निकलने के बाद सबसे ज्यादा उछाल निकल की कीमतों ने लगाई है।
एक महीने के अंदर निकल के अंतरराष्ट्रीय भाव में करीबन 26 फीसदी की और घरेलू बाजार में लगभग 19 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जबकि एक साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में निकल से 115 फीसदी और घरेलू बाजार में 82 फीसदी का रिटर्न प्राप्त हुआ है।
इस समय लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में निकल 26700 डॉलर प्रति टन के आस पास कारोबार कर रहा है, जबकि बांबे मेटल एक्सचेंज में 1236 रुपये के करीब कारोबार हो रहा है। निकल की सबसे अधिक खपत स्टेनलैस स्टील, इलैक्ट्रोप्लेटिंग और केमिकल में होती है। बेहतर मांग और आस्ट्रेलिया एवं कनाडा की खदानों में श्रमिकों की हड़ताल के कारण निकल की कीमतें हवा में उड़ी हैं।
बेस मेटल में निकल के बाद सबसे ज्यादा तांबे से निवेशकों को रिटर्न प्राप्त हुआ है। एक साल के अंदर अंतरराष्ट्रीय बाजार में तांबे की कीमतों में 66 फीसदी और घरेलू बाजार में 32 फीसदी की करीबन बढ़ोतरी हुई है। जबकि पिछले एक महीने में तांबे के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में साढ़े सात फीसदी और घरेलू बाजार में चार फीसदी के लगभग उछले हैं।
बिजली के उपकरण और तार बनाने के काम आने वाली यह धातु एलएमई में 7875 डॉलर प्रति टन और घरेलू बाजार में 410 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर कारोबार कर रहा है। इंडस्ट्रीयल मांग और जोर पकड़ने की उम्मीद से तांबे से संबंधित कंपनियों के शेयर भी ऊपर की ओर जा रहे हैं।
तांबे की तरह जस्ता और एल्युमीनियम के दाम भी तेजी से ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं। एक महीने के अंदर इन दोनों धातुओं की कीमतों में क्रमश: 10 और 6 फीसदी के करीबन वृध्दि दर्ज की गई है, जबकि साल भर में 65 फीसदी के आसपास बढ़ोतरी हुई है।
जस्ते का उपयोग गैल्वनाइज्ड स्टील में होता है और एल्युमीनियम का अधिकांश उपयोग आटोमोबाइल, कांस्ट्रक् शन और बिजली क्षेत्र में किया जाता है। इन सभी सेक्टरों में मांग अच्छी होने के कारण इनके दाम अभी और ऊपर जा सकते हैं।
एक साल पहले लगभग सभी बेस मेटल्स की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही थी जबकि अब सभी में बढ़ोतरी का दौर नजर आ रहा है। इस पर एंजेल ब्रोकिंग के अमर सिंह कहते हैं कि मूल धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह मांह में जबरदस्त तेजी है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की भंवर से निकल चुकी है इस बात के गवाह आने वाले आंकड़े हैं। जिससे औद्योगिक मांग जोर पकड़ रही है दूसरी ओर यूरोपीयन मुद्रा यूरो मजबूत हो रहा है जबकि डॉलर कमजोर पड़ रहा है जो भूल धातुओं की कीमतों को और हवा दे रहा है।
चीन, यूरोप और अमेरिका सभी जगह बेस धातुओं की मांग बढ़ी है जबकि फरवरी में चिली में आए भूकंप और कुछ उत्पादक देशों की खदानों में श्रमिकों की हड़ताल से उत्पादन प्रभावित हुआ है जो कि कीमतों को और मजबूती प्रदान करने का एक कारण माना जा सकता है।
शेयरखान के प्रवीण कुमार कहते हैं कि वर्तमान वैश्विक मांग की वजह से अगले एक महीने तक अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार में लगभग सभी मूल धातुओं की कीमतों में तेजी का रुख बना रह सकता है।
निकल और तांबे की कीमतें 10 फीसदी तक और ऊपर जा सकती है। तांबा अपने भाव का सर्वोच्च स्तर 8900 डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड को तोड़ सकता है। जो दो जुलाई 2008 को बना था। प्रवीण के अनुसार लेकिन इसके बाद बेस मेटल्स में गिरावट का दौर शुरू हो सकता है क्योंकि इसके बाद इन धातुओं में मुनाफावसूली का दौर शुरू हो जाएगा। (बीएस हिंदी)

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