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15 अप्रैल 2010

गर्मी की चक्की में पिसा गेहूं!

नई दिल्ली April 15, 2010
उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के बिलारी इलाके के किसान महक सिंह ने एक एकड़ में गेहूं की खेती की है।
खेतों में गेहूं की पैदावार को देखते हुए उन्हें इस साल मात्र 10 क्विंटल गेहूं की उपज मिलने की उम्मीद है। पिछले साल उन्हें एक एकड़ की खेती से लगभग 12.5 क्विंटल गेहूं मिला था।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के कृषि वैज्ञानिक भी इस साल के लिए गेहूं की पैदावार में 5-25 फीसदी तक की गिरावट की आशंका जाहिर कर रहे हैं। वे रबी के दौरान 8 करोड़ टन से अधिक गेहूं उत्पादन के सरकारी अनुमान पर भी शंका जता रहे हैं।
आईएआरआई के कृषि वैज्ञानिक कहते हैं, 'किसानों से मिल रही रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं बिहार में गेहूं की पैदावार 5-25 फीसदी तक कम है। जिन इलाकों में समय पर गेहूं की बुआई की गई और उनकी देखरेख समुचित तरीके से की गई, वहां पैदावार में 5 फीसदी और जहां पिछौती बुआई हुई, वहां की पैदावार में 25 फीसदी तक की गिरावट है।
मध्य प्रदेश, गुजरात, एवं मध्य भारत में गेहूं की पैदावार में कोई कमी नहीं है।' आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक जेपीएस डबास कहते हैं, 'नमी घटने और तापमान बढ़ने से गेहूं के दाने सिकुड़ गए। उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में 80 फीसदी खेत लू की चपेट में आ गए।'
लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री डॉ. बीएस चहल कहते हैं, 'अब तो गेहूं की बुआई निर्धारित समय से 15 दिन पहले करने की जरूरत है। अन्यथा गर्मी से उत्पादन प्रभावित होता रहेगा।'
कृषि उपज विपणन समिति की रिपोर्ट के मुताबिक देश के दो दर्जन से अधिक मंडियों में गेहूं की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (1100 रुपये प्रति क्विंटल) से कम कीमत पर हो रही है। किसानों की प्रति बीघा लागत 1500 रुपये है। उत्पादन पर असर होने से उनकी कमाई में भी 25 फीसदी की कमी आई है।
सूखने लगीं उम्मीद की बालियां
राज्य आवकहरियाणा 44197पंजाब 148101उत्तर प्रदेश 4450राजस्थान 9154आवक टन में, 13 अप्रैल 2010 तकस्त्रोत : एपीएमसी (बी स हिंदी)

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