कुल पेज दृश्य

12 मई 2010

कपास की बुआई का काम शुरू

अहमदाबाद May 12, 2010
कपास सत्र 2009-10 (अक्टूबर-सितंबर) में अच्छी कमाई करने के बाद पंजाब, हरियाणा और ऊपरी राजस्थान के किसानों ने अगले सत्र के लिए कपास की बुआई शुरू कर दी है।
2009-10 में किसानों को कपास के लिए आकर्षक दाम मिलने की वजह से बाजार विश्लेषकों ने साल 2010-11 में देश में कपास के रकबे में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। पंजाब, हरियाणा और ऊपरी राजस्थान के इलाकों में जहां सिंचाई सुविधा उपलब्ध है वहां कपास की बुआई का काम तेजी पर है।
उत्तर भारत कपास संघ लिमिटेड के अध्यक्ष राकेश राठी ने कहा, 'आमतौर पर इन इलाकों में मध्य-अप्रैल तक बुआई का काम शुरू हो जाता है, लेकिन बुआई का काम 15 दिन पीछे चल रहा है क्योंकि गेहूं की कटाई का काम 15 दिन पीछे रहा था।'
पंजाब और हरियाणा में कपास के रकबे में 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। 2009-10 में पंजाब में 4.96 लाख हेक्टेयर और हरियाणा में 5.07 लाख हेक्टेयर भूमि में कपास की खेती की गई थी। वहीं, राजस्थान में 4.44 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती हुई थी। इन तीनों राज्यों का कुल कपास उत्पादन 38 लाख गांठ रहा था।
भारतीय कपास संघ (सीएआई) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल पंजाब में 14.50 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है, वहीं, हरियाणा में 15.50 लाख गांठ और ऊपरी राजस्थान में 8 लाख गांठ कपास उत्पादन की उम्मीद है।
राठी ने कहा, 'पंजाब और हरियाणा में कपास के रकबे में बढ़ोतरी के पीछे मुख्य प्रोत्साहन कच्चे कपास के ऊंचे भाव हैं। किसानों को धान की फसल के लिए अच्छे दाम मिले थे लिहाजा हमें साफ चित्र के लिए मध्य जून तक इंतजार करना होगा।'
2009-10 में पूरे देश में कच्चे कपास की कीमतों में इजाफा देखने को मिला है। संकर-6 कपास के भाव 22,000 रुपये प्रति कैंडी से बढ़कर 27,500 रुपये प्रति कैंडी हो गए हैं। कपास के चालू सत्र में संकर-6 के भाव 29,000 से ऊपर जा रहे हैं।
सेंट्रल गुजरात कॉटन डीलर्स एसोसिएशन के किशोर शाह ने कहा, किसानों को गुजरात में संकर-6 किस्म के मुकाबले बराबर या कुछ मामले में ज्यादा दाम भी मिलें हैं, लिहाजा यह उन्हें ज्यादा रकबे में कपास की खेती के लिए प्रोत्साहित करेगा।' 2010-11 में देश में कपास फसल के संभावनाएं अच्छी हैं।
मुंबई में वस्त्र आयुक्त कार्यालय के एक प्रमुख अधिकारी ने बताया, 'कच्चे कपास की कीमतों को देखते हुए अगले साल के रुझान अच्छे हैं।' बाजार विश्लेषकों का अनुमान है कि इस साल कपास के रकबे में 10-12 फीसदी की बढ़त आ सकती है।
अहमदाबाद के एक कपास व्यापार फर्म अरुण दलाल ऐंड कंपनी के अरुण दलाल के मुताबिक, '2009-10 में देश में 101.25 लाख हेक्टेयर जमीन में कपास की खेती की गई थी जिसके बढ़कर 110-112 लाख हेक्टेयर होने की संभावना है।'
2010-11 में कपास के रकबे में बढ़ोतरी की ओर संकेत करते हुए सीएआई के सूत्रों ने इस बात का भी जिक्र किया कि बढ़ती कीमतों और निर्यात को कम करने के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों का असर भी कपास के कुल रकबे पर हो सकता है। सीएआई के कपास अत्पादन अनुमानों में 2009-10 में 301.75 लाख गांठ कपास उत्पादन की संभावना जताई गई है।
नए सत्र में कुल रकबे में 10-12 फीसदी बढ़त की उम्मीद
2009-10 में आकर्षक दाम मिलने से इस बार किसान बढ़ा सकते हैं रकबापंजाब, हरियाणा और ऊपरी राजस्थान में तेजी से हो रही है बुआई2009-10 में देशभर में बढ़े हैं कपास के दाम, सरकार कर रही है कीमतों पर काबू पाने की कोशिश (बीएस हिंदी)

कोई टिप्पणी नहीं: