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17 जून 2010

ईयू को 10 हजार टन चीनी निर्यात की मंजूरी

चीनी के निर्यात पर रोक होने के बावजूद सरकार 10 हजार टन रिफाइंड चीनी यूरोपीय यूनियन को निर्यात करने की अनुमति दी है। देश में चीनी की सुलभता बढ़ने और मूल्य घटने के कारण निर्यात प्रतिबंध में छूट देने का फैसला दिया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) से मंजूरी के बाद इस चीनी के निर्यात के लिए इंडियन शुगर एक्जिम कारपोरशन को अधिकृत किया गया है। सितंबर में चालू सीजन खत्म होने से पहले यह निर्यात किया जाएगा। लेकिन सरकार ने इस निर्यात की अनुमति के साथ एक शर्त जोड़ी है कि जितना चीनी निर्यात होगी, उतनी ही मात्रा में किसी अन्य देश से आयात करनी होगी ताकि घरेलू बाजार में किसी तरह उपलब्धता पर असर न पड़े। वरीयता प्राप्त समझौते के तहत भारत से यूरोपीय संघ को निर्यात होने वाली चीनी पर शुल्क नहीं लगता है। देश में चीनी की कमी होने के बावजूद सरकार ईयू में मिली इस सुविधा को वापस नहीं होने देना चाहती है। चीनी निर्यात न होने पर यह सुविधा खत्म हो सकती है। इसी वजह से चीनी निर्यात करने की अनुमति दी गई है।अधिकारिक रूप से चीनी के निर्यात पर भारत में किसी तरह का प्रतिबंध नहीं है लेकिन खाद्य मंत्रालय पिछले जनवरी 2009 से चीनी निर्यात के लिए रिलीज ऑर्डर जारी नहीं कर रहा है। अगले सितंबर में समाप्त हो रहे सीजन के दौरान देश में 190 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है जबकि पहले सिर्फ 160 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। उत्पादन बढ़ने की संभावना से ही घरेलू बाजार में चीनी के फुटकर दाम 50 रुपये के रिकॉर्ड स्तर से घटकर 30 रुपये प्रति किलो पर आ गए हैं। देश में हर साल 230 लाख टन चीनी की खपत होती है।सुधरते हालातघरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ने के कारण सरकार ने उठाया कदमजनवरी 2009 से नहीं हो रहा है भारत से चीनी का निर्यात (बिज़नस भास्कर)

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