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24 जून 2010

मांग की मंदी का शिकार हुआ मालवा का खास 'चिप्स आलू'

भोपाल June 22, 2010
चिप्स बनाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले मालवा के आलू की मांग में कमी देखी जा रही है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लगभग 30 से 35 फीसदी तक कमी आयी है। कमी का मुख्य कारण चिप्स बनाने वाली कंपनियों के पास चिप्स वाले आलू का अधिक स्टॉक होना बताया जा रहा है। इसके चलते कंपनियां पहले अपने स्टॉक के आलू से चिप्स बनाने का काम कर रही हैं।
साथ ही व्यापारियों के पास चिप्स वाले आलू का पर्याप्त मात्रा में स्टॉक होना और मॉनसून सीजन की शुरुआत को भी मांग कम होने का कारण माना जा रहा है। ऐसे में चिप्स वाले आलू के दाम में भी 250 रुपये से लेकर 300 रुपये प्रति बोरी की कमी आई है।
वर्तमान में चिप्स वाले ज्योति आलू की कीमत केवल 450-550 रुपये ही रह गई है। इसके अलावा यूपी के आलू की कीमत 350 से 400 रुपये प्रति बोरी तथा लोकल आलू की कीमत 250 से 350 रुपये प्रति बोरी ही रह गयी है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के मालवा अंचल में चिप्स बनाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले आलू का भारी मात्रा में उत्पादन होता है। प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के देवास, इंदौर और उज्जैन जैसे इलाके चिप्स वाले आलू के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। लगभग 70903 हेक्टेयर में बोये जाने वाले इस आलू की अधिकतर मांग चिप्स बनाने वाली कंपनियों के द्वारा की जाती है।
इसका प्रमुख कारण इस आलू में 2 फीसदी से भी कम मिठास होना है। चिप्स बनाने वाले आलू में मिठास होने पर चिप्स के स्वाद और गुणवत्ता में कमी आती है। स्नैक्स निर्माण करने वाली अधिकतर बड़ी कंपनियां मालवा अंचल के आलू का ही प्रयोग करती हैं। इनमें लेश, बालाजी, एवरेस्ट, यलो डायमंड प्रमुख कंपनियां है।
आकंड़ों के अनुसार, प्रदेश में प्रत्येक वर्ष लगभग 11 लाख टन आलू का उत्पादन किया जाता है, जोकि 15 टन प्रति हेक्टेयर में उत्पादित होता है। इनका अधिकतर प्रयोग चिप्स और स्नैक्स बनाने के लिए होता है। उल्लेखनीय है कि भारत में लगभग 14 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा का स्नैक्स बाजार मौजूद है।
साथ ही संगठित बाजार में प्रति वर्ष लगभग 15 से 20 फीसदी की तेजी देखी जा रही है जबकि असंगठित स्नैक्स बाजार में 8 से 10 फीसदी प्रति वर्ष का इज़ाफा हो रहा है। 1000 से भी अधिक प्रोडक्ट के साथ स्नैक्स बाजार के उपभोक्ताओं और निर्माताओं में भी वृद्धि हो रही है। इनमें आईटीसी का बिंगो, लिप चिप और मंच टाइम जैसे उत्पाद प्रमुख हैं।
वर्तमान में फ्रीटो ले, हल्दीराम, बालाजी, पेप्सी, एवरेस्ट और आईटीसी कंपनियां प्रमुख स्नैक्स निर्माताओं में शामिल है। इसमें से लगभग 45 फीसदी बाजार फ्रीटो ले का, लगभग 27 फीसदी हल्दीराम का और 11 फीसदी के करीब बाजार हिस्सा आईटीसी कंपनी का है। प्रदेश में भी कई छोटे-बड़ी तथा संगठित-असंगठित कंपनियां स्नैक्स और चिप्स निर्माण करने का काम रही हैं।
इस संबंध में इंदौर के मनप्रीत फूड यूनिट प्राइवेट लिमिटेड के तरुण जैन ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि मॉनसून के आने के बाद से चिप्स की बिक्री और निर्माण में कमी आ जाती है। इसके चलते चिप्स बनाने के लिए प्रयोग किये जाने वाले आलू की मांग भी कमजोर ही रहती है। हालाकि मॉनसून के खत्म होने के बाद मांग पहले जैसे ही तेज हो जाती है।
देवास के चिप्स आलू उत्पादक रमेश यादव ने बताया कि हर साल चिप्स वाले सोना और ज्योति जैसे आलू की खेती में मुनाफा ही होता था, लेकिन इस साल मांग कम होने से कीमतें घटी हैं।
मांग में आई 30-35 प्रतिशत की कमी
चिप्स और स्नैक्स बनाने के काम आता हैं मालवा का आलूशुगर की कम मात्रा के कारण होती है मांगस्टॉक अधिक होने से कम हुई मांग, कंपनियों के पास पर्याप्त स्टॉकमांग घटने से कीमतों में 300 रुपये तक गिरावट (बीएस हिंदी)

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