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24 जुलाई 2010

चावल निर्यात पर कवायद तेज

नई दिल्ली July 23, 2010
केंद्र सरकार गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगे 2 साल पुराने प्रतिबंध पर आंशिक छूट देने पर विचार कर सकती है। साथ ही प्रीमियम गैर-बासमती चावल के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 900 डॉलर प्रति टन तय किया जा सकता है। आने वाले दिनों में प्रस्तावित मंत्रिसमूह (जीओएम) की बैठक में बासमती के साथ गैर बासमती चावल के निर्यात पर चर्चा होगी। सरकार गैर बासमती चावल के कुछ किस्मों जैसे सुगंधा और सरबती चावल के निर्यात पर ढील देने पर विचार कर रही है। इसकी पैदावार उत्तर भारत में होती है। साथ ही पूनी, सोना मसूरी, मट्टा के निर्यात की छूट देने पर भी विचार किया जा रहा है, जिसकी पैदावार दक्षिण भारत में होती है। इन किस्मों की मांग पश्चिम एशिया के देशों, अमेरिका, ब्रिटेन और खाड़ी देशों में बहुत ज्यादा है। मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'गैर बासमती चावल की प्रीमियम किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध आंशिक रूप से हटाने का मामला बन रहा है। इसकी मांग विदेश में बहुत ज्यादा है। घरेलू बाजार में इसकी बहुत ज्यादा मांग नहीं है, ऐसे में आम आदमी पर इसका प्रभाव पडऩे का सवाल ही नहीं उठता। इसका राशन सिस्टम पर भी कोई प्रभाव नहीं होगा। अंतरराष्ट्रीय कीमतों को ध्यान में रखते हुए गैर बासमती चावल की इन किस्मों का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया जाएगा।' कृषि मंत्रालय से जुड़े अधिकारी ने यह भी कहा ्िक निर्यात की अनुमति 1 अक्टूबर से मिल सकती है। इस मसले पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालयों ने बातचीत की है। इस सिलसिले में अंतिम फैसला मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह द्वारा लिया जाएगा, जिसकी अध्यक्षता वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी करेंगे। उम्मीद है कि यह बैठक अगले महीने होगी। एग्रीकल्चरल ऐंड प्रॉसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) के मोटे अनाज विभाग के प्रमुख एके गुप्ता ने कहा, 'न्यूनतम निर्यात मूल्य 900 डॉलर प्रति टन के आसपास तय किया जाना चाहिए। बासमती चावल के निर्यात से सिर्फ प्रीमियम या महंगे किस्म के चावल का निर्यात होगा, न कि सस्ते चावल का। खासकर पूनी और सोना मंसूरी की निर्यात मांग उन इलाकों में तेजी से बढ़ रही है, जहां भारतीय रहते हैं।'गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध अप्रैल 2008 में लगाया गया था। इसका उद्देश्य उस समय बढ़ी महंगाई दर पर काबू पाना था। इस सप्ताह की शुरुआत में वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा था कि सरकार चावल की कुछ निश्चित किस्मों के निर्यात को अनुमति देने के बारे में विचार कर रही है।प्रीमियम किस्म के गैर बासमती चावल का देश में सालाना उत्पादन 40 से 50 लाख टन है। आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने कहा- अगर इसमें से 10 लाख टन चावल का निर्यात किया जाता है तो मैं मानता हूं कि घरेलू बाजार में आपूर्ति पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि दो साल लंबे प्रतिबंध के बाद प्रतिस्पर्धी देशों- पाकिस्तान, वियतनाम और थाईलैंड को फायदा मिला है, जिन्होंने न सिर्फ निर्यात बढ़ा दिया है, बल्कि वे भारत के परंपरागत बाजार पर कब्जा जमाने के लिए कम कीमत पर माल बेच रहे हैं। (बीस हिंदी)

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