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31 जुलाई 2010

हरियाणा में धान, कपास का रकबा घटा

चंडीगढ़ July 30, 2010
हरियाणा में इस वर्ष अब भी बढ़ की स्थिति बनी हुई है, लेकिन हो सकता है कि यहां के किसान पिछले वर्ष की तरह इस बार देश के खाद्यान्न भंडार में योगदान न दे पाएं।राज्य की एजेंसियों की ओर से समग्र उपाय किए जाने के बावजूद मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान धान के रकबे में निर्धारित लक्ष्य से 50,000 एकड़ की कमी आ सकती है।हरियाणा में गैर बासमती धान की उत्पादकता 55-60 क्विंटल है। इस हिसाब से इसके फसल में इस बार तकरीबन 2,75,000 टन की गिरावट आने का अनुमान है। इसके अलावा बाढ़ के पानी के जमाव क्षेत्र में आए गैर बासमती धन की फसल की जगह बासमति धान की फसल लगाई गई है। इस वजह से भी प्रदेश में गैर बासमती धान के उत्पादन में गिरावट आएगी।कृषि विभाग के परंपरागत अनुमान के मुताबिक हरियाणा में धान का 2,94,000 हेक्टेयर रकबा, कपास का 9,000 हेक्टेयर रकबा और 35,600 हेक्टेयर खेत में लगी चारे की फसलों को क्षति पहुंची है। बाढ़ की वजह से फसलों को होने वाले नुकसान का सही आकलन राजस्व विभाग की ओर से वास्तविक गिरदवारी किए जाने के बाद ही होगा, जिसमें खेत-दर-खेत सर्वेक्षण शामिल है।हरियाणा के कृषि निदेशक ए के यादव के मुताबिक मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान प्रदेश में धान के 11।5 लाख हेक्टेयर रकबे का लक्ष्य रखा गया था, जिसके 11 लाख हेक्टेयर तक सीमित रहने की आशंका जताई जा रही है। पिछले साल के आंकड़ों से तुलना करने पर धान के रकबे में लगभग 1,05,000 हेक्टेयर की गिरावट आ सकती है और इस वजह से पिछले साल की तुलना में करीब 5 लाख टन उत्पादन गिरने का अंदेशा है। हरियाणा के कृषि मंत्री परमवीर सिंह ने कहा, 'फिलहाल फसलों के नुकसान का अंदाजा लगाना जल्दबाजी होगी क्योंकि हम धान के पौधों का बेहतर स्तर बनाए रखने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं और किसानों को धान के खेतों में सीधे-सीधे बीज बोने के लिए उत्साहित करने के वास्ते उन्हें प्रशिक्षित कर रहे हैं।' उन्होंने बताया कि खेतों में सीधे-सीधे बीज बोने से कम पानी की जरूरत होगी और फसल पकने में समय भी कम लगेगा।हरियाणा की दूसरी सबसे प्रमुख खरीफ फसल कपास है और आशंका जताई जा रही है कि इसका उत्पादन भी उम्मीद से कम होगा। कपास का रकबा इस वर्ष 4.5 लाख हेक्टेयर रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष इस फसल का रकबा 5.1 लाख हेक्टेयर था। तकरीबन 9,000 हेक्टेयर खेत की फसल इस बार बाढ़ के चपेट में आ गई है। मोटे अनुमान के मुताबिक इस वजह से कपास के उत्पादन में 1,90,000 गांठों की कमी आएगी।उल्लेखनीय है कि हरियाणा में इस वर्ष 9.8 लाख हेक्टेयर खेत में धान की बुआई हुई है, जबकि लक्ष्य 11.5 लाख हेक्टेयर रखा गया था। यह प्रक्रिया 10 अगस्त तक चलेगी हालांकि कपास की बुआई मई या जून तक पूरी होगी। (बीएस हिंदी)

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