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12 जुलाई 2010

फुटकर विक्रेता भी बिड कर सकेंगे पीईसी दालों के लिए

नई दिल्ली । सार्वजनिक कंपनी पीईसी लिमिटेड द्वारा खुले बाजार में बेची जाने वाली आयातित दलहन छोटे दाल मिल संचालक और खुदरा व्यापारी भी खरीद सकेंगे। पीईसी ऑनलाइन स्पॉट एक्सचेंजों के जरिये अब 10 टन दलहन खरीद की भी बिड स्वीकार करेगी। पारंपरिक नीलामी के जरिये वह कम से कम 200 टन दलहन के लिए बिड स्वीकार करती थी।पीईसी के डायरेक्टर रवि कुमार ने बताया कि इलेक्ट्रोनिक स्पॉट एक्सचेंजों के माध्यम से जिंसों को खुले बाजार में बेचना ज्यादा पारदर्शीएवं प्रभावी है। इसमें उपभोक्ता उद्योग न्यूनतम दस टन तक की डिलीवरी भी ले सकते है। स्पॉट एक्सचेंज के माध्यम से दलहन की बिक्री करने में समय की बचत होगी। प्रयोग के तौर पर इस माध्यम से दलहन नीलामी प्रक्रिया को मिलों की ओर से उत्साहजनक रेस्पांस मिल रहा है। कंपनी अभी तक पारंपरिक निविदा के माध्यम से दलहनों की बिक्री करती रही है। इसमें निविदा की न्यूनतम तय सीमा 200 से 300 टन होती है। इसी कारण छोटे उपभोक्ता उद्योग या फुटकर व्यापारी इसमें भाग नहीं ले पाते थे। इसीलिए कंपनी ने स्पॉट एक्सचेंजों के माध्यम से दलहनों की बिक्री शुरू की है। कंपनी ने इसके लिए नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) और एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज से करार किया है। एनएमसीई के स्पॉट एक्सचेंज के साथ भी जल्दी ही करार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि निविदा भरने से लेकर दलहन की डिलीवरी देने में करीब सात-आठ दिन का समय लग जाता है जबकि स्पॉट एक्सचेंजों के माध्यम से ऑनलाइन बिड करने से लेकर डिलीवरी लेने में केवल तीन-चार दिन का समय ही लगता है। स्पॉट एक्सचेंजों के ब्रोकरों के ऑफिस में लगे कंप्यूटरों पर दलहनों के खुले बाजार में प्रचलित दाम स्क्रीन पर ही मिल जाते हैं। इसलिए मिल संचालकों को बिड डालने में आसानी होती है। इससे खरीददार और विक्रेताओं दोनों को ही सुविधा होती है। चालू वित्त वर्ष 2010-2011 में कंपनी चार लाख टन दलहन का आयात करेगी, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले एक लाख टन ज्यादा है। पिछले साल कंपनी ने तीन लाख टन दालों का आयात किया था। चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में कंपनी ने करीब 1.25 लाख टन दलहन के आयात सौदे किए हैं तथा इसमें से करीब 60-70 हजार टन दालें भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुकी हैं। अभी तक किए आयात सौदों में पीली मटर की मात्रा काफी ज्यादा है। लेकिन आगामी महीनों में मूंग, उड़द और अरहर का आयात ज्यादा किया जायेगा। रवि कुमार ने बताया कि पिछले साल कुल आयात में से कंपनी ने करीब 1.80 लाख टन दालें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में वितरण के लिए राज्यों को आवंटित की थी। पूरे भारत में मानसून सक्रिय हो गया है इसीलिए आयातित दालों की कीमतों में भी गिरावट आनी शुरू हो गई है। इसका असर आगामी दिनों में घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों पर भी पड़ेगा तथा जल्दी ही फुटकर बाजार में भी दालों के दाम नीचे आएंगे। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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