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07 अगस्त 2010

1 अक्टूबर से चीनी से सरकारी कंट्रोल खत्म ?

पेट्रोल पर सरकारी कंट्रोल हटाने के बाद सरकार अब चीनी उद्योग को पूरी तरह से नियंत्रण मुक्त करने की तैयारी कर रही है। सरकारी कोशिश अगले महीने तक इस प्रस्ताव को कैबिनेट से हरी झंडी दिलवाने की है। आशंका है कि चीनी उद्योग पर से सरकारी नियंत्रण हटने के बाद चीनी मिलों की मनमानी बढ़ जाएगी। नियंत्रण हटने के बाद मिलें तय करेंगी कि उन्हे कब और कितनी चीनी बाजार में बेचनी है। फिलहाल चीनी मिलों को अपने कुल उत्पादन की 15 फीसदी चीनी सरकारी लेवी कोटे के तहत सरकार को सस्ते दामों पर बेचनी होती है। ये वह चीनी है जिसे सरकार राशन के जरिए गरीब लोगो को मुहैया करवाती है। एक अक्टूबर के बाद सरकार को लेवी चीनी बाजार भाव पर खऱीदनी होगी जिससे सरकारी खजाने पर बोझ पढ़ेगा ही।बहरहाल केन रिजर्व एरिया बरकरार रखने की चीनी उद्योग की मांग सरकार ठुकरा सकती है। केन रिजर्व एरिया के खत्म होने पर किसानों को किसी भी कारखाने को गन्ना बेचने की आजादी मिलेगी। फिलहाल, किसान 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित चीनी मिलों को ही गन्ना बेचना सकती है। विनियंत्रण के बाद चीनी मिलों के पास निश्चित गन्ने की आपूर्ति नहीं रहेगी। सरकार का चीनी को एसेंशियल कमोडिटी एक्ट के तहत ही रखने का इरादा है। साथ ही, सरकार गन्ने की न्यूनतम कीमत तय करने का अधिकार अपने पास ही रख सकती है। गौरतलब है कि समय समय पर कृषि मंत्रालय चीनी मिलों की वकालत करता रहता है। अक्सर आम आदमी की जरुरतों को ताक पर रखकर चीनी मिलों को फायदा पहुंचाने के नियम कायदे बनते रहते हैं। (बिज़नस भास्कर)

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