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11 अगस्त 2010

न्यायालय के अंतरिम आदेश से हिमाचल के सेब उत्पादक खुश

चंडीगढ़ August 10, 2010
हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस अंतरिम आदेश से बड़ी राहत मिली है, जिसमें एजेंटों को फलों और सब्जियों पर खरीदारों से कमीशन लेने की बात कही गई है न कि बिक्रेताओं से।हिमाचल प्रदेश के कृषि विपणन बोर्ड बिक्रेताओं से कमीशन वसूलने के मामले को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक फैसला सुनाया जिसमें एजेंटों को बिक्रेताओं से कोई कमीशन न लेने का आदेश दिया गया है। इससे हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक काफी उत्साहित हैं।उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक आजादपुर मंडी और केला साइडिंग, आजादपुर एवं फल और सब्जी बाजार, ओखला जैसे इसके सहायक यार्डों का संचालन करने वाले तमाम संगठनों से कहा गया है कि वे अगले आदेश तक अपने-अपने सदस्यों को बिक्रेताओं से किसी भी तरह का कमीशन न लेने की हिदायत दें। अदालत ने यह भी कहा है कि 13 जनवरी 2000 को जारी अधिसूचना का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए और खरीदारों से कमीशन की राशि वसूली जाए। इससे पहले दिल्ली के बाजारों में बागवानी उपज बेचने वाले हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों को 6 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता था।गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष सेब उत्पादन का स्तर 3.27 करोड़ पेटियों तक पहुंच जाने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष 1.40 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था।'हिमाचल फ्रूट ग्रोअर्स एसोसिएशन' के अध्यक्ष लेख राज चौहान ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश निश्चित तौर पर प्रदेश के सेब उत्पादकों के लिए जबरदस्त राहत वाली बात है। चूंकि विनियमित बाजार में विक्रेताओं से किसी भी तरह का कमीशन वसूल करना गैर कानूनी है, इसीलिए हम इस प्रावधान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे।चौहान ने बताया कि पहले हिमाचल प्रदेश के 80-90 फीसदी सेब सीधे-सीधे दिल्ली के बाजारों में पहुंचते थे, इसलिए विके्रता के स्तर पर 6 फीसदी कमीशन का प्रावधान होने से उत्पादकों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ता था। चौहान ने कहा कि दिल्ली की मंडियों में विक्रेताओं से कमीशन वसूले जाने के प्रावधान की वजह से प्रदेश के सेब उत्पादक दिल्ली की मंडियों से कतराते थे, नतीजतन हिमाचल में कई टर्मिनल बाजार विकसित हो गए हैं।फिलहाल जबकि बागवानी उत्पादों का बड़ा हिस्सा दिल्ली की मंडियों में पहुंचता है, दिल्ली उच्च न्यायालय के इस फैसले से उत्पादकों को बहुत फायदा होगा। हालांकि इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों में उल्लास का माहौल है, लेकिन दिल्ली में आजादपुर मंडी के संगठन इसका यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि इस फैसले की वजह से फलों के भाव बढऩे लगेंगे।'चैंबर ऑफ आजादपुर फ्रूट ऐंड वेजिटेबल एसोसिएशन' के अध्यक्ष मीठा राम ने कहा कि आजादपुर चाहता है कि इस आदेश का अनुपालन अगले वर्ष से किया जाए, क्योंकि फिलहाल सीजन का मध्य दौर चल रहा है। इस आदेश के खिलाफ आजादपुर के कारोबारियों ने हाल ही में अपनी-अपनी दुकानें बंद कर दी थीं और मीठा राम का कहना है कि कारोबारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस बारे में भविष्य का निर्णय चैंबर की अगली बैठक में लिया जाएगा, जो इस सप्ताह के अंत में होगी। (BS Hindi)

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