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04 अगस्त 2010

महंगाई पर सरकार की सफाई से विपक्ष नाराज

नई दिल्ली. बुधवार को महंगाई का मुद्दा पर संसद में छाया रहा। लोकसभा में महंगाई पर हो रही चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने सरकार की नीतियों का जमकर बचाव किया। उन्होंने कहा कि महंगाई कम करने के लिए सरकार सभी उपाय कर रही है। अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे महंगाई के दबाव के बारे में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह केंद्र और राज्य-दोनों की जिम्मेदारी है। हालांकि, वे महंगाई को रोकने के किसी ठोस और फौरी उपाय को बताने में नाकाम रहे। उधर, राज्यसभा में महंगाई पर चर्चा की शुरुआत नेता, प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने की।
लोकसभा में प्रणब मुखर्जी ने पेट्रोल-डीज़ल और एलपीजी के बढ़े हुए दामों का जोरदार बचाव किया। मुखर्जी ने यह भी कहा कि सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) को दुरुस्त करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार पीडीएस का कोटा बढ़ाएगी ताकि गरीबों को फायदा मिल सके। बढ़ते हुए राजकोषीय घाटे पर बात करते हुए मुखर्जी ने कहा कि इसे लंबे समय तक जारी नहीं रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री की राह पर चलते हुए उन्होंने अच्छी फसल की उम्मीद जताई और कहा कि इस बार बढ़े हुए कृषि उत्पादन की उम्मीद है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही छूट लोकलुभावन फैसला नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने सदन में अपना आपा खोने पर माफी भी मांगी। प्रणब मुखर्जी ने बहस की दिशा को निजी तजुर्बे से जोड़ते हुए कहा कि मैंने किरोसीन लैंप में पढ़ाई की है। उन्होंने कहा कि महंगाई को कम करना सामूहिक जिम्मेदारी है। उनके मुताबिक इसके लिए सभी पार्टियों के नेताओं को साथ आना होगा। यूपीए सरकार पर महंगाई को लेकर विपक्ष द्वारा मढ़े गए असंवेदनशील होने के आरोप पर वित्तमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार सबके लिए संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि खाना खाने वाले को तो सस्ती चीजें मिले हैं साथ ही उसे पैदा वाला भी भूखा न मरे।
सदन में जब प्रणब मुखर्जी महंगाई प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे तब बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और सीपीएम के वासुदेव आचार्य और जेडी(यू) के शरद यादव ने टोंकाटाकी की। गौरतलब है कि महंगाई पर नियम 342 के तहत लोकसभा में बीजेपी की नेता सुषमा स्वराज ने प्रस्ताव लाया था। जिसपर मंगलवार से चर्चा शुरू हुई।
सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्षप्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी महंगाई पर हुई चर्चा के जवाब में केंद्र सरकार के तर्कों से बिल्कुल असंतुष्ट दिखी। लोकसभा में पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने प्रणब मुखर्जी के तर्कों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार पेट्रोल-डीज़ल के दामों में की गई बढ़ोतरी को वापस ले और जनता को राहत दे। मुखर्जी के जवाब से बिल्कुल असहमत स्वराज ने कहा कि प्रणब मुखर्जी ने राहत देने का कोई उपाय, कोई कदम की चर्चा नहीं की। उन्होंने अपने भाषण में बस यह बताने की कोशिश की है कि महंगाई की वजह क्या है। स्वराज ने आगे कहा, ‘प्रणब मुखर्जी यह कह रहे हैं कि अगर विकास दर बढ़ेगी तो महंगाई भी बढ़ेगी। लेकिन इस देश में महंगाई किसी और के लिए बढ़ रही और विकास दर किसी और का। सरकार को इसी विषंगति को दूर करना चाहिए। हमने महंगाई पर चर्चा इसीलिए कराई है कि सरकार इस विरोधाभास को दूर करने के कुछ उपाय बताए। लेकिन मुझे प्रणब बाबू के बयान से निराशा हुई है। यह कैसा अर्थशास्त्र है? प्रणब मुखर्जी के भाषण से सिर्फ सदन ही नहीं पूरा देश निराश है। महंगाई के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद में सड़क पर वे लोग आए जो दो वक्त की रोटी की लड़ाई लड़ रहे हैं। लोगों को उम्मीद थी कि सरकार महंगाई को कम करने के लिए कोई उपाय बताएगी लेकिन प्रणब मुखर्जी केवल महंगाई की वजह समझाते रह गए। ’
सुषमा स्वराज ने सरकार को महंगाई कम करने के लिए उपाय सुझाते ह हुए कहा कि एफसीआई के गोदामों में बहुत राशन सड़ रहा है। लोगों को नहीं मिल रहा है। जब नई आवक आती है मंडी उस समय में आप गेहूं और चावल अडवांस देना शुरू करें। इससे लाखों-लाख घरों में खाद्य सुरक्षा का काम आसानी से हो जाएगा। इससे अनाज का सुरक्षित भंडारण भी हो जाएगा। पेट्रोल-डीज़ल के मूल्य की चर्चा करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि एनडीए के शासनकाल में हम हर 15 दिन में तेल कंपनियों के साथ बैठक करते थे। मुनाफे को आधा पेट्रोलियम कंपनी को आधा उपभोक्ता में बांटना हमारी नीति थी।
क्या है नियम 342 ? इस नियम के तहत किसी भी नीति, परिस्थिति या फिर बयान पर संसद में चर्चा के बाद मतदान नहीं होगा। सदन, सदस्य द्वारा प्रस्ताव रखने और अपना भाषण पूरा करने के तत्काल बाद इस पर चर्चा शुरू कर देगा। बहस पूरी तरह इसी मुद्दे पर केंद्रित होगी। बहस के अंत तक इस मुद्दे से अलग कोई दूसरा प्रश्न या विषय नहीं उठाया जा सकेगा। कोई सदस्य नियम-प्रक्रिया का पूरी तरह अनुपालन करते हुए भी यदि कोई दूसरा विषय उठाता है तो इसके लिए स्पीकर और सदन दोनों की सहमति जरूरी होगी। (दैनिक भास्कर)

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