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20 अगस्त 2010

सट्टेबाजी और आवक घटने से मेंथा तेल तेज

नई दिल्ली August 18, 2010
उत्पादक मंडियों में मेंथा तेल की आवक घटने लगी है। इस वजह से मेंथा तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है। कारोबारियों के मुताबिक वायदा बाजार में सट्टेबाजी के कारण भी इसकी कीमतों में तेजी को बल मिला है। वहीं इस बार मेंथा तेल का उत्पादन भी कम बताया जा रहा है।प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर की चंदौसी मंडी के मेंथा कारोबारी धमेंद्र कुमार ने बताया कि इन दिनों मंडी में 80-90 ड्रम (180 किलोग्राम) मेंथा तेल की रोजाना आवक हो रही है। एक सप्ताह पहले 200 ड्रम की आवक हो रही थी। उनका कहना है कि आवक में कमी के कारण चंदौसी मंडी में बीते चार- पांच दिनों के दौरान मेंथा तेल के दाम 40 रुपये बढ़कर 855 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। आवक में कमी के बारे में कुमार ने कहा कि उत्पादन घटने और किसानों को आगे निर्यात मांग निकलने की उम्मीद है। इस कारण वे मंडियों में मेंथा तेल कम ला रहे हैं।इसकी कीमतों में तेजी के बारे में रामपुर मंडी के मेंथा कारोबारी विष्णु कपूर ने बताया कि मेंथा तेल की घरेलू और निर्यात मांग कमजोर है, बावजूद इसके कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है। उनके अनुसार वायदा बाजार में सटोरिये इसके दाम बढ़ा रहे हैं। रामपुर मंडी में बीते चार दिनों के दौरान मेंथा तेल के दाम 60 रुपये बढ़कर 830-840 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। वायदा बाजार मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में बुधवार को मेंथा तेल अगस्त अनुबंध का भाव 767.50 रुपये प्रति किलो रहा। 12 अगस्त को यह आंकड़ा 731.40 रुपये प्रति किलो था।आगे मेंथा तेल की कीमतों के बारे में कारोबारियों का कहना है कि इसके दाम वायदा बाजार पर निर्भर करेंगे। उनके मुताबिक बाजार सटोरियों के हवाले है। इसलिए कुछ अनुमान लगाना मुश्किल है। फिर भी निर्यात मांग निकलने पर मेंथा तेल की कीमतों में और तेजी आ सकती है।उधर, इस बार मेंथा तेल का उत्पादन पिछले साल से कम रहने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश मेंथा उद्योग के अध्यक्ष फूल प्रकाश ने बताया कि इस साल मेंथा तेल का उत्पादन 20 फीसदी तक घट सकता है। पिछले साल करीब 32,000-33,000 टन मेंथा तेल का उत्पादन हुआ था। इसके इस बार घटकर 26,000-27,000 टन रहने की संभावना है। दाम अधिक होने के कारण मेंथा उत्पादों के निर्यात में कमी आ रही है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान मेंथा उत्पादों का निर्यात 16 फीसदी घटकर 4,000 टन रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भी मेंथा उत्पादों का निर्यात 7.3 फीसदी घटकर 19,000 टन रहा था। (BS Hindi)

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