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16 अक्तूबर 2010

उर्वरक में मोटा मुनाफा!

मुंबई October 15, 2010
उर्वरक और एग्रोकेमिकल्स कंपनियों को दूसरी तिमाही में मुनाफे की उम्मीद है। इसकी वजह है कि मॉनसून बेहतर रहा है, और उर्वरकों की मांग बढ़ी है। इस तिमाही के दौरान उर्वरकों की कीमतों में तेजी रही है। डाईअमोनियम फास्फेट (डीएपी) और यूरिया की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में क्रमश: 27 प्रतिशत और 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कुल मिलाकर देखें तो उर्वरक और एग्रोकेमिकल्स कंपनियों के राजस्व में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है। परिचालन मुनाफे में 65 आधार अंक की बढ़ोतरी की उम्मीद है। टाटा केमिकल्स, जीएसएफसी और यूनाइटेड फॉस्फोरस के मुनाफे में 200 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है। शुद्ध मुनाफे में 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है- क्योंकि टाटा केमिकल्स, जीएसएफसी, रैलिस और दीपक फर्टिलाइजर को बेहतर मुनाफा हुआ है। एमके ग्लोबल के उर्वरक विश्लेषक का मानना है कि कोरोमंडल इंटरनैशनल, जुआरी इंडस्ट्रीज और चंबल फर्टिलाइजर्स जैसी कंपनियों को ज्यादा कारोबार के चलते मुनाफा होने की आस है। विश्लेषकों का मानना है कि उर्वरक सेग्मेंट में राजस्व में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी और मार्जिन 80 आधार अंक बढ़ेगा। केमिकल सेग्मेंट के राजस्व में उम्मीद की जा रही है कि राजस्व पहले जैसा बरकरार रहेगा, वहीं मार्जिन मामूली रूप से गिरकर 183 आधार अंक रहेगा, क्योंकि केमिकल्स की कीमतें इस तिमाही के दौरान करीब स्थिर रही हैं। उर्वरकों की कीमतों में बढ़ोतरी भारतीय मॉनसून की सफलता पर निर्भर होती है। इसकी वजह से इस साल भारत में उर्वरकों की मांग तेज हुई है। उर्वरक के वैश्विक कारोबार में भारत की हिस्सेदारी करीब 45 प्रतिशत है और इस तरह से भारत उर्वरकों की कीमतों की चाल में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले हफ्ते कीमतें 10-15 डॉलर प्रति टन कम हुई हैं, जबकि पिछले दो महीने में कीमतों में 100-120 डॉलर प्रति टन की तेजी दर्ज की गई है। डीएपी की कीमतें इस समय 560-575 डॉलर प्रति टन पर स्थिर हैं। यूरिया की कीमतों की चाल में अनाज की वैश्विक कीमतों का असर होता है। वैश्विक फर्टिलाइजर की कीमतों पर सिटी ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक सप्ताह में मक्के की कीमतें 11 प्रतिशत और गेहूं तथा सोया की कीमतें 9 प्रतिशत गिरी हैं। सिटी ग्रुप के विश्लेषकों को उम्मीद है कि डीएपी की कीमतों पर दबाव बढ़ेगा, क्योंकि उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होगी। (BS Hindi)

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