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22 अक्तूबर 2010

हाजिर एक्सचेंजों के लिए बनेंगे बेहतर मानक

मुंबई October 21, 2010
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) बाजार से जुड़े कॉर्पोरेट गवर्नेंस के मानकों के मुताबिक हाजिर एक्सचेंजों के लिए मानक बनाने पर काम कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि यह एफएमसी के उन दिशानिर्देशों का हिस्सा होगा, जिसके तहत हाजिर एक्सचेंजों को फारवर्ड कांट्रैक्ट रेग्युलेशन एक्ट (एफआरसीए) से छूट मिलेगी। इसके तहत एक दिन के वायदा और इंट्रा डे कारोबार का नियमन होता है। एक अधिकारी ने कहा, 'अब हाजिर एक्सचेंजों को एफआरसीए के सेक्शन 27 से अलग अलग मामलों के मुताबिक छूट मिलेगी। हम एक विस्तृत दिशानिर्देश तैयार करने की प्रक्रिया में हैं, जिसके तहत हाजिर एक्सचेंज एक दिन की कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडिंग कर सकेंगे और इसमें एफआरसीए के प्रावधान लागू नहीं होंगे। वे कार्पोरेट गवर्नेंस के मानकों के मुताबिक काम कर सकेंगे, जो एफएमसी शीघ्र ही पेश करेगा।सामान्यतया हाजिर एक्सचेंजों का नियमन का काम राज्य सरकारों या राज्य सरकारों द्वारा संचालित एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) द्वारा होता है। कारोबारियों को इससे डिलिवरी को लेकर समस्या होती है। बहरहाल एफएमसी के नियमन और संचालन का मामला तभी बनता है, जब इन एक्सचेंजों की जरूरतों के मुताबिक एफएमसी की ओर से छूट मिले, जिससे वे एक दिन की एक्सपायरी वाले सौदे कर सकें, जिसमें इंट्राडे नेटिंग ( एक दिन के दौरान कारोबार) होता है। इस सेटलमेंट में यह जरूरी नहीं है कि सामानों की डिलिवरी हो, लेकिन कारोबार नकदी के जरिए होता है और एक बार जब नकद में सौदा हो जाता है तो यह एफआरसीए के प्रावधानों में आ जाता है। अधिकारी ने कहा, 'हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जो एक्सचेंज यह छूट चाहते हैं, वे अच्छी तरह से संचालित हो सकें।'उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि बाजार से संबंधित गवर्नेंस के लिए योग्यता के मानकों की जरूरत होती है और कुल पूंजी के हिसाब से ब्रोकर सदस्य तय होते हैं। सदस्य निश्चित मानकों के मुताबिक होने चाहिए, उनके अन्य कारोबार और ग्राहकों तथा कारोबार में पारदर्शिता, सौदों की प्रकृति मांग और आपूर्ति पर आधारित होनी चाहिए। इससे यह जाना जा सकेगा कि कारोबार कौन कर रहा है, किस चीज का कारोबार हो रहा है और इसका वायदा कारोबार या अन्य किसी संबंधित कारोबार से कोई टकराव नहींं है।अधिकारी ने कहा कि बड़ा उद्देश्य यह है कि हाजिर एक्सचेंजों का संचालन इस तरह से हो कि वे जिंस कारोबार के विकास में उत्प्रेरक का काम कर सकें। वे किसानों से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक से जुड़े होते हैं। वे किसानों, गोदामों, बैंकों, खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों और तमाम अन्य अंतिम उपभोक्ताओं से जुड़े हैं। बहरहाल यह जुड़ाव मजबूत नहीं है, क्योंकि बुनियादी ढांचे की स्थिति बहुत खराब है और किसान इस समय अपने उत्पादों का सिर्फ 25-30 प्रतिशत मूल्य पाते हैं। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि विचार यह है कि किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर दाम मिल सके। आदर्श स्थिति यह होगी कि किसान अपने उत्पादों की कीमतों को लेकर मोलभाव करने की स्थिति में रहें। इसी को उद्देश्य बनाकर सारी कवायद शुरू की गई है, जिससे हाजिर एक्सचेंज वैल्यू चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। (BS Hindi)

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