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11 दिसंबर 2010

बनी रहेगी लहसुन की गरमाहट

भोपाल December 10, 2010
लहसुन के कम स्टॉक और भारी मांग के बीच इसकी कीमतें बढ़ती जा रही है।पिछले 1 महीने के दौरान भाव में 4,500 रुपये तक की तेजी दर्ज की गई है। जानकारों के अनुसार लहसुन की नई फसल आने से पहले तक कीमतों के आसमान छूने का सिलसिला जारी रहने की संभावना है, हालांकि नई फसल जनवरी के मध्य से बाजार में आनी शुरू हो जाएगी। फिलहाल लहसुन के भाव अधिकतम 20,500 रुपये तक हैं।लहसुन के बुआई सत्र से लेकर अब तक देश में इसकी आपूर्ति कम रही है। दूसरी ओर शादी के मौसम और अचार के लिए इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में मांग और आपूर्ति के बीच भारी असंतुलन बना हुआ है। इंदौर की मंडियों में लहसुन की आवक घटकर 300 कट्टïा रह गई है, जबकि भोपाल सहित प्रदेश की अन्य मंडियों में भी स्थिति संतोषजनक नहीं है। इससे आने वाले समय में देश में लहसुन के दामों में प्रति किलो 20 से 25 रुपये का और इज़ाफा होने के संकेत मिल रहे हैं। इंदौर के लहसुन निर्यातक हरि चौरसिया ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले सत्र में लहसुन का उत्पादन कुछ खास नहीं रहा था। साथ ही विदेशों से भी मांग अधिक होने से अच्छे लहसुनों का निर्यात कर दिया गया था। ऐसे में लहसुन का स्टॉक न के बराबर है। इससे लहसुन की मांग को पूरा करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मांग के मुकाबले लहसुन की आपूर्ति 50 फीसदी तक कम हो रही है। इसी कारण दामों में भी भारी तेजी का रुख बना हुआ है। जनवरी में नई फसल आने से पहले तक दामों में आ रही उछाल से छुटकारा मिलना नामुमकिन है।पहले से लहसुन की कमी झेल रहे भारत में विदेशी मांग से लहसुन की कमी और भी बढ़ गई है। विदेशी खरीदार भारत से काफी ऊंचे भाव पर लहसुन खरीद रहे हैं। इन देशों में बांग्लादेश और मलयेशिया प्रमुख हैं।मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्टï्र, राजस्थान, कर्नाटक, उड़ीसा और केरल राज्य प्रमुख रूप से लहसुन का उत्पादन करते हैं। हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इनमें से अधिकतर राज्यों में लहसुन उत्पादन में भारी कमी आई है। देश के कुल लहसुन उत्पादन का लगभग 37 फीसदी उत्पादन मध्य प्रदेश में होता है। प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में लहसुन का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। इनमें नीमच, इंदौर, रतलाम, मंसौर और उज्जैन जैसे जिले प्रमुख हैं। प्रदेश में 2008-09 में लहसुन का बुआई क्षेत्र 1.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र था और इसमें कुल 1 लाख 26 हजार टन लहसुन की पैदावार हुई, जो उससे पहले वाले वर्ष की तुलना में काफी कम था। वर्ष 2007-08 में राज्य में 1.71 लाख हेक्टेयर में लहसुन का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2010-11 में भी लहसुन के उत्पादन के कम रहने की ही आशंका है।इस वर्ष देश में तापमान लहसुन के उत्पादन के अनुकूल नहीं रहा था। इसके अलावा तापमान की अधिकता के कारण काफी बड़ी मात्रा में लहसुन का स्टॉक भी खराब हो गया था। इसके चलते वर्तमान में अच्छे मालों की लगातार कमी बनी हुई है। ऐसे में लहसुन उत्पादक और व्यापारी आने वाले समय में लहसुन के दामों में 2,000 रुपये से लेकर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी और आने की बात कर रहे हैं। स्थानीय मंडी व्यापारी आकाश रस्तोगी ने बताया कि वर्तमान में लहसुन की प्रति दिन की आवक में काफी कमी आई है। कुछ समय पहले तक प्रति दिन 2500-3000 बोरी लहसुन की आवक थी, लेकिन अब यह घटकर केवल 1400-1500 बोरी ही रह गई है। अधिकतर जगह लहसुन की कीमत 9,500 से लेकर 20500 रुपये तक है। पिछले कई महीनों से लहसुन का भाव तेजी से बढ़ रहा है। इस चलते सितंबर में शुरू होने वाली बुआई बढऩे के संकेत हैं।नीमच के लहसुन उत्पादक किसान प्रदीप कुमार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले सत्र में लहसुन की फसल काफी खराब आई थी। ऐसे में अधिकतर किसानों को घाटा सहना पड़ा था। (BS Hindi)

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