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04 दिसंबर 2010

वायदा कारोबार पर ग्रहण

तेजी से पनप रहे कमोडिटी वायदा कारोबार पर गठित एक समिति ने सिफारिश की है कि आवश्यक खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी जानी चाहिए। प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा उपभोक्ता मामलों पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में इस कोर कमेटी का गठन किया गया था। सूत्रों के मुताबिक कमेटी द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट पेपर में महंगाई कम करने के लिए आवश्यक वस्तुओं के वायदा कारोबार को बंद करने की वकालत की गई है। इस समय वायदा बाजार में आवश्यक वस्तुओं जैसे गेहूं, चना और सोयाबीन तेल का वायदा कारोबार हो रहा है। चीनी के वायदा कारोबार पर लगी रोक गत 30 सितंबर से हटा तो ली गई है, लेकिन अभी तक वायदा में कारोबार शुरू नहीं हुआ है। कमोडिटी एक्सचेंज कभी भी चीनी का वायदा कारोबार शुरू कर सकते हैं।सूत्रों के अनुसार कमेटी द्वारा तैयार ड्राफ्ट पेपर में कहा गया है कि किसानों के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लगनी चाहिए। चालू महीने के अंत तक कोर कमेटी अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंप सकती है। प्रधानमंत्री ने महंगाई पर अंकुश लगाने के उपाय सुझाने के लिए पिछले अप्रैल महीने में तीन कोर कमेटियों का गठन किया था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों को मिलाकर उपभोक्ता मामलों पर कोर कमेटी गठित की गई थी।इसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए उचित सुझाव देना है। इस तरह महंगाई के मुद्दे पर वायदा कारोबार एक बार फिर पड़ताल के दायरे में आ गया है। इस बार वायदा कारोबार पर कोई विशेषज्ञ समिति अध्ययन नहीं कर रही है, बल्कि तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों की कमेटी इस पर विचार कर रही है। केंद्र इस तरह से वायदा कारोबार पर राज्यों और आम जनता के मूड को भांपने की कोशिश कर रही है।पहले मिली थी क्लीन चिट नई दिल्ली इससे पहले 2007 में महंगाई बढऩे पर दबाव में आई सरकार ने देश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और योजना आयोग के सदस्य प्रो. अभिजीत सेन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह कहना बहुत मुश्किल है कि वायदा कारोबार की वजह से आवश्यक जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी होती है। हालांकि चारों ओर से विरोध के स्वर उभरने पर सरकार ने चावल, गेहूं, उड़द और अरहर के वायदा कारोबार को निलंबित कर दिया था। लेकिन बाद में गेहूं के वायदा कारोबार की दुबारा अनुमति दे दी। इसके बाद सरकार ने मई 2008 में भी चना, सोया तेल, रबर और आलू के वायदा कारोबार को चार महीने के लिए निलंबित किया था। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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