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07 जनवरी 2011

ग्राहकों के जख्मों पर नमक

अहमदाबाद January 05, 2011
लगता है प्याज की महंगाई पर्याप्त नहीं थी कि विस्तारित मॉनसून और ज्यादा ठंड उपभोक्ताओं की जख्मों पर नमक छिड़कने के लिए तैयार हो गए। उत्पादन में 35-40 फीसदी की गिरावट के बाद नमक की कीमत बढ़त की राह पर है। इसके साथ ही नमक के उत्पादन में तीन महीने की देरी हो सकती है।मॉनसून के ज्यादा समय तक टिके रहने से नमक की करीब 75 फीसदी कड़ाही (पैन) में पानी का मिश्रण हो गया है। दूसरी ओर, ज्यादा ठंड की वजह से इन कड़ाहियों से पानी का वाष्पीकरण धीमा हो गया है। उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, इस वजह से नमक के उत्पादन में देरी हो सकती है।इंडियन सॉल्ट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के आला अधिकारी ने कहा - मौजूदा साल में भारत में नमक का उत्पादन 35 से 40 फीसदी तक गिरने की आशंका है। इसकी वजह विस्तारित मॉनसून यानी देर तक मॉनसून का टिका रहना है। इस बार मॉनसून नवंबर तक टिका रहा, वहीं ज्यादा ठंड की वजह से वाष्पीकरण धीमा हो गया है, लिहाजा नमक के उत्पादन में देरी हो रही है। इस वजह से उत्पादन में कम से कम 120 दिन की देरी होगी।उद्योग के सूत्रों के मुताबिक, भारत में औसतन 185-190 लाख टन नमक का उत्पादन होता है, जिसकी आपूर्ति मुख्यत: तीन कामों के लिए होती है और इनमें खाने के काम में इस्तेमाल होने के अलावा औद्योगिक मांग और निर्यात बाजार की मांग शामिल है। खाने के लिए सालाना 65 लाख टन नमक की मांग है, वहीं औद्योगिक मांग 75-80 लाख टन की है। इसके अलावा भारत हर साल 20-25 लाख टन नमक का निर्यात भी करता है।सौराष्ट्र के नमक विनिर्माता ने कहा - सामान्यत: नमक का उत्पादन अक्टूबर के आखिर में शुरू होता है और जून तक चलता है। लेकिन इस साल मॉनसून के देर तक टिके रहने की वजह से नमक के उïत्पादन में परेशानी हुई। स्टॉक फिलहाल कम है और नया उत्पादन बाजार में आने में वक्त लगेगा, इस वजह से अगले कुछ महीने में इसकी कीमतें बढ़ेंगी।नमक की कीमत में बढ़ोतरी का उद्योग पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, क्योंकि सोडा ऐश उद्योग के लिए यह प्रमुख जिंसों में से एक है। गुजरात हैवी केमिकल्स लिमिटेड (जीएचसीएल) के प्रेजिडेंट सुनील भटनागर (बिक्री व विपणन) ने कहा - कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो चुकी है और यह हमारी लागत पर भारी असर डाल रही है क्योंकि सोडा ऐश उद्योग के लिए यह प्रमुख कच्चा माल है। उपलब्धता में कमी होने से सोडा ऐश के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।जीएचसीएल के पास 2200 टन रोजाना विनिर्माण की क्षमता है और मौजूदा समय में संयंत्र पूरी क्षमता के साथ संचालित किया जा रहा है। हालांकि कीमतों में संभावित बढ़ोतरी से कंपनियों को सोडा ऐश और कास्टिक सोडा के उत्पादन में कटौती करनी पड़ सकती है। नमक का इस्तेमाल करने वाली अन्य औद्योगिक इकाइयों में निरमा लिमिटेड, टाटा केमिकल्स, सौराष्ट्र केमिकल्स लिमिटेड और जीएचसीएल शामिल है।इस बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश से आयात कर बढ़ती कीमतोंं पर लगाम कसा जा सकता है। उद्योग के सूत्रों का कहना है कि 1997 से ओपन जनरल लाइसेंस के तहत शून्य आयात शुल्क पर नमक आयात की अनुमति है। लेकिन हालिया वैश्विक जलवायु गतिरोध ने यूरोप को बर्फ से ढक दिया है जबकि चीन बाढ़ की चपेट में आ गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में नमक की मांग भी तेजी से बढ़ी है। बताया जाता है कि जापान, चीन, यूरोप के कुछ देशों और नेपाल, भूटान व बांग्लादेश की तरफ से भारत से नमक आयात की बाबत पूछताछ हो रही है। (BS Hindi)

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