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07 जनवरी 2011

पंजाब और हरियाणा में गेहूं की बंपर पैदावार की उम्मीद

चंडीगढ़ January 05, 2011
मौजूदा समय में जारी शीतलहर और पिछले साल हुई बारिश ने पंजाब और हरियाणा के किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है क्योंकि इस वजह से इस साल गेहूं की बंपर पैदावार की संभावना बढ़ गई है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादा ठंड गेहूं की फसल के लिए अच्छा होता है।पंजाबफसल विविधीकरण के चलते पंजाब में गेहूं का रकबा इस साल कमोबेश पिछले साल के 35.22 लाख हेक्टेयर के आसपास ही रहेगा। हालांकि कुल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले ज्यादा होने की संभावना है। राज्य कृषि विभाग को उम्मीद है कि इस साल 154 लाख टन का उत्पादन होगा जबकि पिछले साल 152 लाख टन का उत्पादन हुआ था। उन्होंने कहा कि इस साल प्रति हेक्टेयर पैदावार बढ़ेगी। पिछले साल 43.07 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादन हुआ था जबकि इस साल यह 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पर पहुंचने की संभावना है। राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस साल रबी सीजन मेंं गेहूं का कुल रकबा 35 लाख हेक्टेयर है जो पिछले साल के 35.22 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है क्योंकि राज्य सरकार फसल विविधीकरण पर जोर दे रही है। हालांकि वास्तविक रकबे का आकलन किया जाना अभी बाकी है। यहां पर यह उल्लेख करना जरूरी है कि पिछले साल राज्य कृषि विभाग ने कहा था कि गेहूं का कुल रकबा 34.8 लाख हेक्टेयर पर पहुंच जाएगा, लेकिन कुल रकबा 35.22 लाख हेक्टेयर था। यह भी गौर करने लायक है कि राज्य में रबी सीजन में कुल बोए गए क्षेत्र का 90 फीसदी गेहूं के तहत आता है जबकि बाकी में तिलहन, दलहन और जौ आदि आते हैं।
हरियाणापिछले साल राज्य में 105 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, लेकिन इस साल 114.62 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान है। राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बेहतर मॉनसून के चलते इस साल प्रति हेक्टेयर पैदावार 46.5 क्विंटल पर पहुंच सकती है जबकि पिछले साल यह 42 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था। केंद्रीय कोष में गेहूं के अंशदान के मामले में दूसरे सबसे बड़े राज्य हरियाणा में गेहूं का कुल रकबा 24.75 लाख हेक्टेयर पर पहुंचेगा जबकि पिछले साल कुल रकबा 24.65 लाख हेक्टेयर था। कृषि अधिकारियों ने कहा कि पिछले महीने हुई बारिश से न सिर्फ इस साल रबी फसल की संभावनाएं बेहतर हुई हैं बल्कि किसानों की सिंचाई लागत में कमी लाने में भी मदद की है। एक किसान खास तौर से फसल के महत्वपूर्ण चरणों में कृत्रिम सिंचाई पर औसतन 200-300 रुपये खर्च करता है। बारिश की वजह से किसानों को 150-200 करोड़ रुपये की बचत हुई है। अधिकारियों ने कहा कि हरियाणा में सरसों का कुल रकबा इस साल 5.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच जाएगा, जो पिछले साल 5.13 लाख हेक्टेयर था। राज्य में 10.5 लाख टन सरसों उत्पादन की संभावना है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, ज्यादा ठंड और कोहरे का मौसम सरसों की फसल के लिए खतरनाक होता है क्योंंकि इससे फसल पर कवक (फंगस) के हमले का खतरा तब बढ़ जाता है। (BS Hindi)

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