कुल पेज दृश्य

26 फ़रवरी 2011

खाद्य सुरक्षा

नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की गठित रंगराजन कमेटी ने यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सिफारिश खारिज कर दी है। रंगराजन समिति ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दो टूक कहा है कि देश की 75 फीसदी आबादी को सस्ती दर पर अनाज उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है। एनएसी के खाद्य सुरक्षा कानून मसौदे को वस्तुतः अव्यवहारिक साबित करते हुए रंगराजन समिति ने इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्रों की 46 और शहरी क्षेत्रों की 28 फीसदी आबादी को ही सस्ते दर पर राशन उपलब्ध करने की कानूनी गारंटी देने की सिफारिश की है।
प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रंगराजन की पीएमओ की इस समिति के इस बेबाक रुख से यूपीए दो के सोनिया गांधी के सबसे प्रिय सामाजिक एजेंडे को झटका माना जा रहा है। हालांकि एनएसी के सदस्य अपने मसौदे को ठुकराए जाने की सिफारिश पर फिलहाल कुछ कहने से बच रहे हैं। मनमोहन सिंह ने एनएसी के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे पर सुझाव देने के लिए रंगराजन को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। इस रिपोर्ट में समिति ने साफ कहा है कि सस्ती दर पर गेहूं और चावल सिर्फ गरीबों को ही मुहैया कराया जा सकता है। सामान्य श्रेणी के लोगों को यह सुविधा देने से मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। क्योंकि जरूरत भर सस्ता अनाज उपलब्ध नहीं है जबकि एनएसी ने सरकार से देश की 72 से 75 फीसदी आबादी को कानूनी तौर पर सस्ता राशन उपलब्ध कराने की सिफारिश की थी।
सरकार को सुझाव दिया गया था कि इसके लिए दो श्रेणियां बनाई जा सकती हैं। गरीबों को प्रति परिवार 35 किलो और सामान्य श्रेणी के परिवारों को 20 किलो अनाज दिया जाए। खाद्य सुरक्षा सोनिया गांधी के प्रिय विषयों में से एक रहा है, और पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम लोगों से खाद्य सुरक्षा को लेकर कानून बनाने का वादा किया था। लेकिन अब रंगराजन कमेटी ने कहा है कि मौजूदा आबादी और अनाज की उपलब्धता को देखते हुए एनएसी की इस सिफारिश पर अमल कर पाना संभव नहीं है। इस विधेयक में गरीबों को दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो की दर से चावल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सीके रंगराजन की अध्यक्षता में गठित इस विशेषज्ञकमेटी ने कहा कि गरीबों के लिए दो रुपये किलो गेहूं और तीन रुपये किलो की दर से चावल उपलब्ध कराने के प्रस्ताव का तो पक्ष लिया, लेकिन यह भी कहा कि अनाज उपलब्ध होने पर ही बाकी लोगों के लिए यह प्रावधान हो सकता है। कमेटी ने एनएसी की तरह ग्रामीण क्षेत्रों की 46 और शहरी क्षेत्रों की 28 फीसदी आबादी को सस्ती सदर पर राशन उपलब्ध करने की कानूनी गारंटी देने की सिफारिश की है। समिति का आकलन है कि सरकार को प्राथमिकता प्राप्त परिवारों के लिए राशन, अनाज के बफर स्टॉक और कल्याणकारी योजनाओं के लिए इस साल 509.60 लाख टन और 2014 में 519.30 लाख टन अनाज की जरूरत होगी। जबकि सरकार की खरीद क्षमता 2011-12 में 563.5 लाख टन और 2013-14 में 576.10 लाख टन होगी। समिति ने कहा है कि यदि एनएसी की सिफारिश पर पूरी तरह से अमल किया जाता है तो वर्ष 2011 यानी पहले चरण में 687.6लाख टन और अंतिम चरण यानी 2014 में 719.8 लाख टन अनाज की जरूरत होगी।

कोई टिप्पणी नहीं: