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22 अप्रैल 2011

काजू निर्यात में 5 फीसदी की गिरावट

बेंगलुरु April 20, 2011
घरेलू बाजार में मजबूत मांग और कच्चे काजू की किल्लत की वजह से वित्त वर्ष 2010-11 में काजू का निर्यात नरम रहा। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है और पिछले वित्त वर्ष में कुल निर्यात में 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और कुल मात्रा 1 लाख टन से थोड़ी ज्यादा रही। साल 2009-10 में देश से 1,08,120 टन काजू का निर्यात हुआ था।हालांकि वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाला काजू निर्यात संवर्धन परिषद विभिन्न बंदरगाहों पर मौजूद सीमा शुल्क कार्यालयों से आंकड़ों का संकलन अभी नहीं कर पाया है, लेकिन उद्योग के विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2010-11 में कुल निर्यात 1.02 लाख टन से 1.05 लाख टन के बीच रह सकता है। कीमत के हिसाब से भारतीय निर्यातकों की आय हालांकि 10 फीसदी से ज्यादा बढऩे का अनुमान है और यह 3200 करोड़ रुपये रह सकता है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2906 करोड़ रुपये रहा था।मुंबई के एक कारोबारी पंकज संपत ने बताया - मुख्यत: अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की तरफ से मांग में सुस्ती की वजह से पिछले कुछ सालों में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय काजू की हिस्सेदारी घटती रही है। जापान से मांग में बढ़त स्थिर रही है, वहीं ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खरीदारी नगण्य रही है। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से पश्चिम एशिया व अरब देशों से मांग में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। भारतीय निर्यातकों के लिए निर्यात भाव पिछले साल के मुकाबले 27 फीसदी बढ़कर 350 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गया है जबकि पिछले साल निर्यात भाव यानी निर्यात से मिलने वाली कीमत 275 रुपये प्रति किलोग्राम थी। निर्यात में गिरावट की दूसरी मुख्य वजह कच्चे काजू की किल्लत है। उन्होंने कहा कि पश्चिम अफ्रीकी देशों से आपूर्ति की स्थिति काफी सख्त है। घरेलू फसल की कटाई अभी शुरू हुई है और शुरुआती अनुमान के मुताबिक करीब 5 लाख टन काजू का उत्पादन हो सकता है।इस साल कर्नाटक व केरल में फसल सामान्य रहने की खबर है, वहीं महाराष्ट्र, गोवा व कोंकण क्षेत्र में यह सामान्य से कम रहेगा। काजू व कोकोआ विकास निदेशालय का अनुमान है कि इस साल 7 लाख टन काजू का उत्पादन होगा, जो पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है। इस साल काजू का रकबा 9.2 लाख हेक्टेयर रहा है जबकि पिछले साल 8.9 लाख हेक्टेयर था। इस तरह इसमें 3.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। निदेशालय पिछले तीन साल से हर साल रकबे में करीब 20,000 हेक्टेयर की बढ़ोतरी करता रहा है।मंगलूर के एक निर्यातक ने कहा - निर्यात में सुस्ती की वजह से निर्यातक बहुत ज्यादा परेशान नहीं हैं क्योंकि घरेलू बाजार से उन्हें भारी भरकम रिटर्न मिल रहा है। लोगों की बढ़ती आय की वजह से देश में काजू की खपत में बढ़ोतरी हो रही है। घरेलू बाजार में गुणवत्ता के हिसाब से काजू की कीमतें 375 रुपये प्रति किलोग्राम से 475 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। (BS Hindi)

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