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06 अप्रैल 2011

ग्वार गम में मजबूती के आसार

मुंबई April 05, 2011 ग्वार बीज और ग्वार गम पर स्पेशल मार्जिन हटाए जाने के साथ ही वायदा बाजार में कारोबारी इन जिंसों में खरीद करने लगे हैं। काफी ज्यादा उतारचढ़ाव पर नियंत्रण करने की गरज से एक महीने पहले इन पर स्पेशल मार्जिन लगाया गया था क्योंकि तब कीमतों में असामान्य बढ़ोतरी हो गई थी। लेकिन मार्जिन लगाए जाने के बाद भी कीमतें नीचे नहीं आईं क्योंकि इसके फंडामेंटल मजबूत हैं और कीमतों में एक बार फिर उफान आने की उम्मीद है। नियामक के निर्देशों के मुताबिक, नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज ने ग्वार बीज पर 10 फीसदी का स्पेशल मार्जिन वापस ले लिया है और ग्वार गम पर स्पेशल मार्जिन 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है और यह 4 अप्रैल से प्रभावी हो गया है। केडिया कमोडिटीज के अजय केडिया ने कहा - मिलों के साथ-साथ दवा उद्योग से ग्वार बीज और ग्वार गम की मांग निकल रही है। उनका कहना है कि ग्वार बीज और ग्वार गम की कीमतों में वायदा बाजार में मजबूती बनी रहने की उम्मीद है। ग्वार गम का सीजन समाप्ति की ओर है और हाजिर बाजार में आवक घटी है। फिलहाल देश भर के बाजारों में इसकी रोजाना आवक 15,000 से 20,000 बोरी (प्रति बोरी 1 क्विंटल) रह गई है। पिछले साल इस समय रोजाना 25,000-30,000 बोरी थी, इस तरह इसमें 20 फीसदी की गिरावट का संकेत मिल रहा है। साल 2009-10 में ग्वार का उत्पादन 4.5 लाख टन रहा जबकि 2008-09 में कुल उत्पादन 8 से 9 लाख टन रहा था। एक कारोबारी ने बताया कि स्टॉकिस्ट माल का भंडारण कर रहे हैं, लिहाजा इस वजह से भी इसकी कीमतें बढ़ रही हैं।ग्वार गम (इसके उत्पादन के लिए ग्वार बीज का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर होता है) की निर्यात मांग बेहतर होने की वजह से इसकी कीमतें काफी ज्यादा बढ़ी हैं, लिहाजा इस साल ग्वार बीज के रकबे में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। लेकिन इसका उत्पादन मॉनसून पर निर्भर करेगा। दूसरी ओर ग्वार गम का बाजार उतारचढ़ाव भरा है, लेकिन कपड़ा उद्योग के साथ-साथ कच्चे तेल की खोज करने वाली कंपनियों की तरफ से मजबूत मांग के चलते इस जिंस को काफी समर्थन मिल रहा है। बताया जा रहा है कि कुछ कारोबारियों व निर्यातकों ने कीमतों में बढ़ोतरी करने के लिए कार्टल बना लिया है। एक विश्लेषक ने बताया कि ग्वार गम के प्रमुख उत्पादक केंद्रों पर बड़े खिलाड़ी मौजूद हैं, जो इस जिंस की कीमतोंं में उतारचढ़ाव के लिए जिम्मेदार हैं। मौजूदा समय में इस जिंस का कुल भंडार (इन्वेंट्री) साल के निचले स्तर 40,000 टन पर पहुंच गया है जबकि एक साल पहले इस समय यह 80,000-90,000 टन था। पाराडाइम कमोडिटीज के निदेशक बीरेन वकील ने कहा - पिछले साल के मुकाबले ग्वार गम की मांग 40 फीसदी बढ़ी है और इस वजह से भी इस साल ग्वार गम की कीमतें10,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंची हैं। अमेरिका और यूरोप की मांग के चलते पिछले साल अप्रैल से नवंबर के दौरान ग्वार गम का निर्यात 76 फीसदी बढ़कर 2,27,757 टन पर पहुंच गया था। ऐंजल कमोडिटीज के सहायक उपाध्यक्ष बदरुद्दीन खान ने कहा - मांग में तीव्र बढ़ोतरी के चलते ग्वार गम की कीमतों में बढ़त जारी रहेगी क्योंकि तेल की खोज में तेजी आ रही है। बीरेन वकील ने बताया कि कपड़ा उद्योग की तरफ से मजबूत मांग के चलते ग्वार गम की कीमतें अगले पांच साल तक मजबूत बनी रहेगी। (BS Hindi)

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