कुल पेज दृश्य

25 मई 2011

गन्ने की पेराई के लिए प्रोत्साहन

मुंबई May 24, 2011
महाराष्ट्र सरकार 95 लाख टन चीनी उत्पादन के लिए राज्य में 810 लाख टन गन्ने की पेराई सुनिश्चित करने के लिए चीनी उद्योग को वित्तीय सहायता मुहैया कराने पर विचार कर रही है। चीनी उद्योग ने 450 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग की है। अब तक चीनी मिलें 88 लाख टन चीनी उत्पादन के लिए 779 लाख टन गन्ने की पेराई कर चुकी हैं। हालांकि उद्योग के साथ ही राज्य सहकारिता मंत्री हषवर्धन पाटिल को डर है कि मॉनसून के जल्द आने से ये अनुमान घट सकते हैं और इस स्थिति में करीब 40 लाख टन गन्ना बिना पेराई के खेतों में खड़ा रह सकता है। राज्य सरकार ने पहले ही प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों पुणे, अहमदनगर और सोलापुर की 60 मिलों को निर्देश दिया है कि जब तक पूरे गन्ने की पेराई न हो जाए तब तक मिलों का परिचालन बंद न किया जाए। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 'राज्य सरकार इस स्थिति के प्रति सजग है और गन्ने की समय से कटाई और परिवहन के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन मुहैया कराने पर विचार कर रही है, जिससे खेतों में बिल्कुल भी गन्ना खड़ा न रहे। उद्योग ने गन्ने की कटाई के लिए सरकारी अनुदान के रूप में 500 रुपये प्र्रति टन देने की मांग की है। इसलिए सरकार 200 करोड़ रुपये का पैकेज तैयार कर सकती है।Ó इसके अलावा अगर गन्ना बिना पेराई के खेतों में खड़ा रह जाता है तो उद्योग ने 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा मांगा है और इसके कारण राज्य सरकार को 250 करोड़ रुपये मुहैया कराने पड़ेंगे। सूत्रों ने कहा कि राज्य सकार ने 2006-07 के दौरान खेतों में खड़े रह गए गन्ने के लिए किसानों को 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और उद्योग को 184 करोड़ रुपये बांटे थे। 'अगर सरकार खेतों में खड़े रह गए गन्ने के लिए प्रोत्साहन मुहैया कराने की योजना बनाती है तो यह समय से उठाया गया कदम होगा।Ó महाराष्ट्र में 165 से अधिक मिलों के प्रतिनिधि संगठन फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार दो प्रोत्साहनों की पहले ही घोषणा कर चुकी है, जिनमें 3 रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर की परिवहन सब्सिडी और मई के पहले पखवाड़े में पेराई से होने रिकवरी नुकसान के लिए 65 रुपये प्रति टन सब्सिडी मुहैया कराना शामिल है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: