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27 मई 2011

महंगा पड़ रहा है ड्रैगन का सोना प्रेम

मुंबई : भारतीय खरादारों को सोने के गहनों के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इसकी वजह सिर्फ
सोने की बढ़ती कीमतें नहीं हैं। दरअसल, चीन में बढ़ी मांग के चलते भारतीय उपभोक्ताओं की जेब ढीली होगी। चीन में मांग बढ़ने और विमानों का ईंधन महंगा होने के चलते विदेशी सप्लाइकर्ताओं ने हाल में सोने पर प्रीमियम बढ़ा दिया है। एक प्रमुख सरकारी बैंक की बुलियन ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा कि सप्लायरों ने इस महीने चीनी मांग में तेज उछाल के चलते एक औंस (31.10 ग्राम) के लिए प्रीमियम 75 सेंट से एक डॉलर तक बढ़ा दिया। घरेलू ज्वैलर्स को सोने की सप्लाई करने वाले स्कॉटियाबैंक के एक अधिकारी ने कहा कि जेट ईंधन में तेजी ने भी बैंक को प्रीमियम बढ़ाने के लिए मजबूर किया है। सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा, 'चीन से मांग लगातार बढ़ रही है। उनकी वजह से सप्लाई पर दबाव पड़ा है, जिसके चलते इस महीने प्रीमियम 1-1.5 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर 1.5-2 डॉलर प्रति औंस हो गया।' बैंक सप्लायर के प्रीमियम के ऊपर 30-50 सेंट प्रति औंस का कमीशन लेता है। सप्लायर के प्रीमियम में पैकिंग, इंश्योरेंस और ट्रांसपोर्ट का खर्च शामिल होता है। स्कॉटियाबैंक की शाखा स्कॉटियामोकाटा के एमडी (बुलियन) राजन वेंकटेश के मुताबिक, हवाई ईंधन की ऊंची कीमतों की भरपाई के लिए सोने के प्रीमियम में 20-30 सेंट प्रति औंस की हल्की बढ़ोतरी की गई थी। सोने की ढुलाई मुख्य तौर पर हवाई रास्ते से होती है। क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी के साथ अंतरराष्ट्रीय जेट ईंधन के दाम मार्च के 918.5 डॉलर प्रति किलोलीटर से बढ़कर अप्रैल में 1020.66 डॉलर प्रति किलोलीटर और मई में 1061.14 प्रति किलोलीटर रहे। पिछले 11 वषोर्ं से हर साल सोने के भाव बढ़े हैं। डॉलर में कमजोरी और हाल में यूरो जोन के कर्ज संकट, साथ ही चीन और भारत जैसे उभरते बाजारों में महंगाई की वजह से पिछले एक साल में सोने के भाव में 21 फीसदी की तेजी आई है और यह 22,593 रुपए प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है। सोने के भाव में डॉलर से उलटी गति देखी जाती है और महंगाई के खिलाफ हेजिंग के लिए इसका इस्तेमाल होता है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) ने पाया है कि साल 2011 की पहली तिमाही में चीन में सोने की मांग वहां के लोगों के सांस्कृतिक जुड़ाव, महंगाई पर काबू पाने के लिए की जा रही मौद्रिक सख्ती और सोने पर चीन के केंदीय बैंक की सकारात्मक नजर तथा रियल एस्टेट से नकदी दूसरे सेक्टरों में जाने की वजह से बढ़ी है। बैंकरों का कहना है, 'आज चीन दुनिया में सोने का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है। 2010 में सोने के भाव में औसतन सालाना 25 फीसदी की तेजी के बाद भी सोने की मांग 32 फीसदी बढ़ी। पहली बार ज्वैलरी, निवेश और टेकनेलॉजी सभी को मिलाकर सोने की सालाना मांग 700 टन के पार पहुंच गई।' बैंकरों का कहना है कि फिलहाल चीन की मांग भारत से ज्यादा है। चीन ने पिछले साल 958 टन सोने का आयात किया था। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक, चालू साल की पहली तिमाही में सोने की ज्वैलरी के लिए भारतीय मांग 206.2 टन रही, जो वैश्विक मांग का 37 फीसदी है। (ET Hindi)

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