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26 मई 2011

सस्ता अनाज सभी के लिए

ख्याल - सस्ते अनाज की गारंटी में बीपीएल व एपीएल दोनों ही परिवार हो सकते हैं शामिलरंगराजन समिति की रायसस्ते अनाज की कानूनी गारंटी के दायरे में केवल बीपीएल परिवारों को किया जाए शामिलइस समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करने पर सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल बढ़कर 83,000 करोड़ रुपये पर पहुंचेगा एनएसी का मत सस्ते अनाज की कानूनी गारंटी के दायरे में बीपीएल और एपीएल दोनों ही परिवारों को किया जाए शामिल समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करने पर सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल बढ़कर 92,000 करोड़ रुपये पर पहुंचेगाखाद्य मंत्रालय प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की सिफारिशों के आधार पर तैयारी कर रहा है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 'सस्ते अनाज की कानूनी गारंटी में एनएसी की सिफारिशों के आधार पर बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) और एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर) दोनों ही परिवारों को शामिल किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि खाद्य पर उच्चाधिकार प्राप्त मंत्री समूह (ईजीओएम) की आगामी बैठक में इस पर चर्चा होगी। गत 1 मई को केंद्रीय पूल में तकरीबन 600 लाख टन अनाज का स्टॉक मौजूद था, जबकि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू होने के बाद पहले चरण में लगभग 650 लाख टन अनाज की आवश्यकता होगी।
अधिकारी ने बताया कि खाद्य मंत्रालय इस विधेयक के लिए एनएसी की सिफारिशों के आधार पर तैयारी कर रहा है। एनएसी ने वर्ष 2011-12 से शुरू होने वाले पहले चरण में बीपीएल और एपीएल परिवारों की कम से कम 72 फीसदी आबादी को और दूसरे चरण में वर्ष 2013-14 तक 75 फीसदी आबादी को इस कानूनी गारंटी के दायरे में लाने का सुझाव दिया है।
उन्होंने बताया कि एनएसी की सिफारिशें मान लेने से सरकार को अनाज की खरीद बढ़ानी होगी। इससे सरकार पर सब्सिडी का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इस समय सरकारी एजेंसियां कुल उत्पादन का केवल 25 से 30 फीसदी ही अनाज एमएसपी पर खरीदती हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास गत 1 मई को 593.11 लाख टन अनाज का स्टॉक था। इसमें 277.60 लाख टन चावल और 256.59 लाख टन गेहूं है।
जहां तक प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी. रंगराजन की अगुवाई वाली विशेषज्ञ समिति का सवाल है, उसने कहा है कि किसी भी चरण के लिए खाद्यान्न से संबंधित एनएसी की सिफारिशें लागू करना संभव नहीं होगा। प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अगर रंगराजन समिति की रिपोर्ट स्वीकार कर ली जाती है
तो सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल 2,000 करोड़ रुपये बढ़कर 83,000 करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। वहीं, अगर एनएसी की सिफारिशों के आधार पर बीपीएल और एपीएल परिवारों की 75 फीसदी आबादी को प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के दायरे में लाया जाता है तो सरकार का खाद्य सब्सिडी बिल और भी ज्यादा बढ़कर 92,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने की संभावना है।
मौजूदा समय में सरकार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 6.52 करोड़ परिवारों को राशन दुकानों के जरिए 35 किलो अनाज उपलब्ध कराती है। इन परिवारों को 4.15 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं और 5.65 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल मुहैया करवाया जाता है। इसके अलावा 11.5 करोड़ एपीएल परिवारों को सरकार हर महीने 15 किलो अनाज मुहैया करवाती है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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