कुल पेज दृश्य

08 जून 2011

बिहार में बारिश से मक्के की फसल बर्बाद

मुंबई June 06, 2011
देश के चौथे सबसे बड़े मक्का उत्पादक राज्य बिहार में मॉनसून पूर्व की बारिश और अंधड़ से मक्के की 5 फीसदी खड़ी हुई फसल खराब हुई है। फसल में फफूंदी लगने की भी खबरें हैं, जिसके कारण भविष्य में नुकसान बढ़ सकता है। विशेषज्ञों द्वारा फसल के नुकसान की मात्रा का आकलन अभी नहीं किया जा सका है, क्योंकि लगातार बारिश जारी है। लेकिन उनका मानना है राज्य में कुल फसल के 60 फीसदी भाग का प्रसंस्करण किया जा चुका है और यह विपणन के लिए तैयार है। राज्य में बाकी की 40 फीसदी फसल में भारी नुकसान होने की चिंताएं हैं। मक्का की बुआई और कटाई गर्मी और सर्दी दोनों ही ऋतुओं में होती है। बिहार में इसकी कटाई अपने अंतिम चरण में है, जबकि दक्षिण और पश्चिमी भारत में मॉनसून के पहुंचने के साथ ही बुआई शुरू होने वाली है। फसल के नुकसान का प्रभाव हाजिर बाजार में मक्का के भावों पर भी दिखने लगा है। औद्योगिक गुणवत्ता वाली मक्का के दाम पिछले कुछ दिनों में 20-40 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर निजामाबाद में फिलहाल 1,174.75 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहे हैं। इसी तरह बिहार में भी अच्छी मक्का के भाव बढ़कर 1,070 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। निजामाबाद मंडी में किसानों और स्टॉकिस्टों ने बंपर पैदावार के अनुमानों से पिछले साल के स्टॉक की बिक्री शुरू कर दी है। इस बार मौसमी बारिश भारत में निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले ही शुरू हो गई है। इससे किसानों और कारोबारियों को पूरे साल मॉनसून अनुकूल रहने की उम्मीद है। स्थानीय मक्का की गुणवत्ता बिहार आदि दूरस्थ क्षेत्रों से आयातित फसल से बेहतर है। इसके कारण स्थानीय मक्का आयातित मक्का के बजाए अच्छे भावों पर बिक रही है। आंध्र प्रदेश में बुआई का सीजन प्रारंभ होने से अगली फसल चार महीनों में बाजार में आने की संभावना है। आंध्र प्रदेश के बुआई वाले क्षेत्रों में मक्के की बुआई शुरू हो चुकी है और अगले 15-20 दिन में समाप्त होने की संभावना है। दामगिरी स्थित विजया एंड कंपनी के विजय ने कहा कि 'बिहार में फसल के नुकसान के कारण कीमतों में बढ़ोतरी हो चुकी है, लेकिन मक्का के भाव इस स्तर से ऊपर जाने की संभावना नहीं है।'ऐंजल कमोडिटीज की एक विश्लेषक नलिनी राव का कहना है कि 'अधिक क्षेत्रफल में मक्का की फसल के नुकसान के अनुमान से अगर इसके दाम 1,300 रुपये प्रति क्विंटल को पार करते हैं तो इस महीने के अंत तक मक्का के जुलाई अनुबंध घटकर 1,260 रुपये प्रति क्विंटल पर आ जाएंगे। राव ने कहा कि अगर आंध्र प्रदेश में बारिश में देरी हुई तो मक्का का क्षेत्रफल घट सकता है, लेकिन अभी तक बारिश में देरी के कोई संकेत नहीं हैं। बंपर घरेलू उत्पादन की बदौलत भारत का मक्का निर्यात अक्टूबर में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष 2010-11 में 33 फीसदी बढ़कर 24 लाख टन रहने की संभावना है। यूएस ग्रेन काउंसिल (यूएसजीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, विपणन वर्ष 2009-10 (नवंबर-अक्टूबर) में भारत ने 18 लाख टन मक्के का निर्यात किया था। कृषि मंत्रालय के तीसरे अनुमानों के मुताबिक, देश में मक्का का उत्पादन 2010-11 के सत्र में 202.3 लाख टन के आंकड़े को छूने की संभावना है, जिसमें से 158.7 लाख टन का उत्पादन खरीफ सत्र में हुआ है। लेकिन कारोबारियों का मानना है कि देश में मक्का का कुुल उत्पादन सरकारी अनुमानों से कम रहेगा और इसके 185 लाख टन रहने का अनुमान हैै। 2009-10 के सीजन में भारत में मक्के का कुल उत्पादन 167.2 लाख टन रहा था। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: