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04 जून 2011

बढ़ेगा ग्वारसीड का रकबा!

मुंबई June 03, 2011
मॉनसून के करीब आते ही ग्वारसीड का उत्पादन करने वालेकिसान खरीफ सीजन में इसकी बुआई की तैयारी शुरू कर रहे हैं, जहां उन्हें कपास व ग्वारसीड में से एक फसल को चुनना होगा, हालांकि कुछ किसान अरंडी की बुआई कर सकते हैं। एक ओर जहां ग्वारसीड ने 40 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है, वहीं अरंडी के उत्पादन से किसानों को 45 फीसदी लाभ अर्जित हुआ है। फरवरी में कपास की कीमतें हाजिर बाजार में 63,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी में 356 किलोग्राम) पर पहुंच गई थी, जो किसानों को ज्यादा आकर्षित कर रही है। मौजूदा समय में कपास की कीमतें 45,000 रुपये प्रति कैंडी है। रकबे में हालांकि कुछ बदलाव हो सकता है, पर मोटे तौर पर कुल रकबा पिछले साल के मुकाबले 15-20 फीसदी ज्यादा होगा।राजस्थान कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 2010 में पर्याप्त बारिश के चलते राजस्थान में 30 लाख हेक्टेयर में ग्वारसीड की बुआई हुई थी और कुल उत्पादन 15.46 लाख टन रहा था। प्रदेश में ग्वारसीड की बुआई की प्राथमिकता इसकी आधारभूत प्रकृति से तय होगी, जिसके लिए कम बारिश की आवश्यकता होती है और किसान थोड़ी दुविधा में हैं कि सामान्य या अच्छी बारिश कपास जैसी फसल की बुआई के लिए ज्यादा उपयुक्त होगा।जोधपुर में ग्वारसीड और ग्वारगम के कारोबारी ब्रृज मोहन ने कहा - अगर अच्छी बारिश होती है तो राजस्थान में ग्वारसीड का रकबा 20 से 25 फीसदी तक बढ़ सकता है और अगर कम बारिश हुई तो रकबे में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि इस साल ग्वारगम का ज्यादा निर्यात हुआ है, ऐसे में किसान इसके रकबे में बढ़ोतरी करेंगे।ग्वारगम की कीमतें किसानों को लुभा रही हैं, क्योंकि इसकी कीमतें एक साल में दोगुनी हो गई हैं। ग्वारसीड की 70 फीसदी से ज्यादा फसल की बुआई राजस्थान में होती है। हाजिर बाजार में ग्वारसीड की कीमतें 3221 रुपये प्रति क्विंटल है, वहीं पिछले साल जून में यह 2280 रुपये प्रति क्विंटल थी। ग्वारगम का उत्पादन ग्वारसीड से होता है और मजबूत निर्यात मांग के चलते इसकी कीमतों में भी 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कारोबारी और विश्लेषक अभी भी ग्वारसीड के रकबे में बढ़ोतरी की बात कह रहे हैं। केडिया कमोडिटीज के अजय केडिया का मानना है कि पिछले साल इसमें अच्छा रिटर्न मिला था, लिहाजा इस साल ग्वारसीड के रकबे में 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। लेकिन इस बात की ज्यादा संभावना है कि कपास और अरंडी में भी कुछ रकबा जा सकता है। 2010-11 में 111.6 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई हुई थी। पाराडाइम कमोडिटीज के निदेशक बीरेन वकील ने कहा - अरंडी जैसे अन्य जिंसों के बाजार परिदृश्य को देखते हुए कहा जा सकता है कि ग्वारगम की निर्यात मांग में बढ़ोतरी व ग्वारसीड की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद इसके रकबे में कमी आएगी क्योंकि कपास व अरंडी ने बेहतर रिटर्न दिया है। (BS Hindi)

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