कुल पेज दृश्य

04 जुलाई 2011

सुस्त मानसून के अनुमान से चिंता की लकीरें

आर. एस. राणा नई दिल्ली

उम्मीदपंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जून में सामान्य से 72 फीसदी ज्यादा बारिशपूरे देश में जून के दौरान मानसूनी बारिश सामान्य से करीब 11 फीसदी ज्यादा रहीमानसून के 36 डिवीजनों में से 26 में बेहतर बारिश सिर्फ दस क्षेत्रों में मानसून सुस्तमौसम विज्ञानियों को 2009 जैसी सूखे की स्थिति होने की दूर-दूर तक आशंका नहींमानसून के बिगड़े मिजाज का असर खरीफ फसलों की बुवाई पर पडऩे लगा है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ में चावल, दलहन, मोटे अनाज और कपास की बुवाई पिछडऩे लगी है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जून महीनें में जारी किए गए दूसरे पूर्वानुमान के अनुसार वर्ष 2011 में देशभर में 95 फीसदी बारिश होने का अनुमान है जो सौ फीसदी सामान्य से थोड़ा कम है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जुलाई महीना खरीफ फसलों की बुवाई के लिए अहम है। जून महीने में देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से करीब 11 फीसदी ज्यादा हुई है। इसीलिए अभी ज्यादा चिंता की बात नहीं है।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक चावल की बुवाई पिछले साल के 44.23 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 41.37 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। इसी तरह से दलहन की बुवाई पिछले साल के 8.68 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 7.08 लाख हैक्टेयर में और मोटे अनाजों ज्वार, मक्का तथा बाजरा की बुवाई 22.05 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। पिछले साल की समान अवधि में मोटे अनाजों की बुवाई 26.75 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। सबसे ज्यादा कपास की बुवाई में 10.02 लाख हैक्टेयर की कमी आई है। चालू खरीफ में कपास की बुवाई 35.17 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के कृषि भौतिकी के अध्यक्ष डॉ. देवेंद्र सिंह ने बताया कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी के मुताबिक देशभर में 95 फीसदी बारिश (इसमें भी चार फीसदी कम या ज्यादा संभव) होने का अनुमान है जो सामान्य से थोड़ी कम है। 2009 में चक्रवात के कारण मौसम में गड़बड़ी हो गई थी लेकिन चालू साल में ऐसी कोई संभावना नहीं है।
जुलाई महीना खरीफ फसलों की बुवाई के लिए महत्वपूर्ण है। इसीलिए जुलाई में कैसी बारिश होती है, ये काफी महत्वपूर्ण होगा। आईएआरआई के एग्रोनॉमी के अध्यक्ष डॉ. ए. के. व्यास ने बताया कि चालू साल में 2009 वाली स्थिति नहीं बनेगी। वैसे भी जून में देशभर में अच्छी वर्षा हुई है।
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए चालू साल में भी मानसून सामान्य ही रहने की संभावना है। आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मानसून के लिहाज से देश को 36 हिस्सों में बांटा हुआ है, इनमें से इस साल जून में 17 इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है जबकि 9 इलाकों में सामान्य और 8 में कम बारिश हुई है।
दो इलाकों में बारिश काफी कम हुई है। उत्तर पश्चिम भारत के प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जून में सामान्य से 72 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। जबकि देश के पश्चिमी इलाकों गुजरात, मराठवाड़ा और तेलंगाना में कम बारिश हुई है।
वर्ष 2010 में देश में सामान्य से 2 फीसदी ज्यादा बारिश हुई, जिससे खाद्यान्न का रिकार्ड उत्पादन 23.58 करोड़ टन होने का अनुमान है। जबकि 2009 में देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बन गए थे। 2009 में पूरे देश में सामान्य से 22 फीसदी बारिश कम हुई थी जिससे खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2008 के 23.44 करोड़ टन से घटकर 21.81 करोड़ टन रह गया था। वर्ष 2005 से 2010 के दौरान देश में केवल 2007 और 2010 में ही सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है। (Business Bhaskar...R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: