कुल पेज दृश्य

26 जुलाई 2011

मॉनसून की बढ़ी बौछार तो बुआई ने पकड़ी रफ्तार

नई दिल्ली, July 25, 2011
पश्चिम व मध्य भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून में सुधार के संकेत के साथ ही कपास, तिलहन व दलहन की बुआई ने रफ्तार पकड़ ली है। बुआई में आई तेजी के चलते पिछले साल के मुकाबले इस साल रकबे के बीच का अंतर काफी हद तक कम हो गया है।पिछले हफ्ते तक कपास का रकबा बीते वर्ष के मुकाबले 30.24 फीसदी कम था, लेकिन 22 जुलाई को समाप्त हफ्ते में यह अंतर घटकर महज 3.66 फीसदी रह गया है। पिछले हफ्ते तक 97 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई पूरी हो चुकी है, जो सामान्य कपास के सामान्य रकबे का करीब 87 फीसदी है। गुजरात और महाराष्ट्र की देश में कपास के रकबे में 80 फीसदी से ज्यादा भागीदारी होती है। इन इलाकों में बारिश की तीव्रता में बढ़ोतरी के साथ ही कपास की बुआई ने रफ्तार पकड़ ली है।भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार हफ्ते के दौरान गुजरात में सामान्य से 2 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। महाराष्ट्र के विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र में 20 जुलाई को समाप्त हफ्ते के दौरान सामान्य से क्रमश: 42 व 88 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। इसी तरह दलहन के मामले में भी बीते हफ्ते तक पिछले साल के मुकाबले इस साल के रकबे का अंतर 16 फीसदी था, लेकिन अब यह घटकर 8.33 फीसदी रह गया है। देश के पश्चिमी, मध्य और दक्षिणी इलाकों में दलहन की ज्यादातर खेती होती है, जहां हफ्ते के दौरान अच्छी बारिश हुई है।मध्य भारत में 20 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान सामान्य से 21 फीसदी अधिक बारिश हुई है। वहीं, दक्षिणी क्षेत्र में समीक्षाधीन सप्ताह में दक्षिण-पश्चिमी मॉनसून 25 फीसदी अधिक रहा है। दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल आदि राज्य आते हैं। बारिश से तिलहन की बुआई में तेजी आई है, जिससे 2010 और 2011 में रकबे का अंतर 3.55 फीसदी से घटकर 0.55 फीसदी या 130.4 लाख हेक्टेयर रह गया है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'हमें पूरी उम्मीद है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून से और अधिक क्षेत्रों में बारिश होगी, जिससे फसलों की बुआई रफ्तार पकड़ेगी। इससे पिछले बरस और इस साल के फसली रकबे का अंतर खत्म हो जाएगा।Óहालांकि देश के पश्चिमी भाग में जुलाई के पहले सप्ताह में सामान्य से कम बारिश की वजह से मोटे अनाज की बुआई का रकबा घटा है। शुक्रवार तक मोटे अनाज की बुआई करीब 141.4 लाख हेक्टेयर हो चुकी है, जो पिछले साल से 11.46 फीसदी कम है। मोटे अनाज में सबसे ज्यादा प्रभावित मक्का की बुआई हुई है। इस साल मक्के का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5.5 लाख हेक्टेयर घटकर 49.9 लाख हेक्टेयर रहा है। शुक्रवार तक धान का रकबा पिछले साल के समान ही 154.7 लाख हेक्टेयर है। वहीं गन्ने का रकबा इस साल 2,70,000 हेक्टेयर बढ़कर 51.6 लाख हेक्टेयर हो गया है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मेहरबान होने से देश के 81 प्रमुख जलाशयों में जलस्तर बढ़कर 52.52 अरब घन मीटर (बीसीएम) हो गया है, जो पिछले सप्ताह तक 45.71 बीसीएम था। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: