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02 अगस्त 2011

एनसीडीईएक्स में हिस्सेदारी मामले में एनएसई से खफा कारपोरेट मंत्रालय

नयी दिल्ली, तीन जुलाई : उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय नेशनल स्टाक एक्सचेंज :एनएसई: द्वारा जिंस एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में अपनी हिस्सेदारी को घटाकर पांच फीसद करने के लिए बार-बार समय मांगने से नाखुश है। मंत्रालय ने कहा है कि वह इस बारे में निर्णय वायदा बाजार आयोग :एफएमसी: के साथ विचार-विमर्श के बाद करेगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, एनएसई ने तीसरी बार और समय मांगा है। यह बहुत ज्यादा है। एफएमसी से विचार-विमर्श के बाद हम यह तय करेंगे कि और विस्तार दिया जाए या नहीं। एनएसई को दिसंबर, 2010 तक एफएमसी के नए दिशानिर्देशों के अनुसार एनसीडीईएक्स में अपनी हिस्सेदारी मौजूदा 11.1 प्रतिशत से घटाकर 5.0 फीसद पर लानी थी। एनएसई उस समय ऐसा नहीं कर पाया। उसके बाद से वह अपनी हिस्सेदारी घटाने के लिए दो बार 30 जून तक का समय ले चुका है। एनएसई ने पिछले सप्ताह फिर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से संपर्क कर हिस्सेदारी घटाने के लिए तीन माह का और समय मांगा है। सूत्रों का कहना है कि एनएसई ने पहले ही एनसीडीईएक्स में अपनी 6.1 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए टर्मशीट पर दस्तखत कर लिए हैं। उसने तीन माह का और समय औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए मांगा है। हिस्सेदारी बिक/ी के सौदे पर एनएसई को विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड :एफआईपीबी:, भारतीय रिजर्व बैंक और एफएमसी की अनुमति लेनी होगी। उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय जिंस वायदा बाजार के लिए नीतियां बनाता है जबकि नियाम एफएफसी देश के 23 जिंस एक्सचेंजों के परिचालन पर निगाह रखता है। उल्लेखनीय है कि जेपी कैपिटल की एनसीडीईएक्स में 22.38 प्रतिशत तथा श्रीरेणुका शुगर्स की 12.50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक्सचेंज के प्रमुख शहरों में एलआईसी, इफको तथा नाबार्ड अन्य प्रमुख हिस्सेदार हैं। (Pardesh Today)

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