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02 सितंबर 2011

प्याज की तेजी एक महीने और सताएगी उपभोक्ताओं को


खबरदार - अगर सरकार ने मूल्य वृद्धि रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाएमहंगाई का तड़काप्याज की तेजी ने महंगाई की दर पहुंचाई दोहरे अंक मेंपिछले एक पखवाड़े में ही प्याज के दाम 25 फीसदी बढ़ेउत्पादक क्षेत्रों का हालमहाराष्ट्र व गुजरात से आने वाली प्याज की फसल एक माह लेट हो रही है। यह प्याज सितंबर में मंडियों में आ जाती है लेकिन इस साल मानसूनी बारिश शुरू होने में देरी होने के कारण इन उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की बुवाई लेट हो गई।प्याज के मूल्य में भारी बढ़ोतरी ने देश में महंगाई की दर को पांच माह के अंतराल पर फिर से दोहरे अंक में पहुंचा दी है। अगर सरकार ने प्याज की तेजी थामने के लिए प्रभावी उपाय नहीं किए तो सितंबर भर उपभोक्ताओं को प्याज की तेजी सताती रहेगी। एहतियाती कदम नहीं उठाए गए तो सितंबर में प्याज के दाम और बढऩे का अंदेशा है क्योंकि महाराष्ट्र व गुजरात से आने वाली प्याज की फसल एक माह लेट हो रही है।
यह प्याज सितंबर में मंडियों में आ जाती है लेकिन इस साल मानसूनी बारिश शुरू होने में देरी होने के कारण इन उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की बुवाई लेट हो गई। मौजूदा तेजी के पीछे भी यही कारण है। इस साल नई फसल एक माह की देरी से आने की संभावना है। तब तक तेजी जारी रह सकती है।राष्ट्रीय राजधानी में प्याज के खुदरा दाम बढ़कर 25 रुपये प्रति किलो हो गए हैं।
पिछले एक पखवाड़े में इसके मूल्य में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। 15 अगस्त के आसपास प्याज के दाम करीब 20 रुपये प्रति किलो थे। 20 अगस्त को समाप्त सप्ताह में प्याज के दाम पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 57 फीसदी ज्यादा रहे। आजादपुर स्थित थोक फल व सब्जी मंडी के कारोबारियों के अनुसार मूल्य में बढ़ोतरी मुख्य रूप से आवक कम होने के कारण हो रही है। पिछले सीजन की फसल की प्याज का स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है।
हर साल सितंबर में प्याज की नई फसल आने लगती है लेकिन इस साल देरी होने की संभावना है। ऑनियन मर्चेंट्स एसोसिएशन के महासचिव राजेंद्र शर्मा ने बताया कि प्याज के थोक दाम 800 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। नेशनल हॉर्टीकल्चरल रिसर्च डेवलपमेंट काउंसिल के अनुसार चेन्नई, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ और पटना में प्याज के दाम पिछले एक पखवाड़े में करीब 300-400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़े हैं।
आजादपुर मंडी की ऑनियन एसोसिएशन के अध्यक्ष बुद्धि राज ने बताया कि इन दिनों मंडी में रोजाना करीब 60 ट्रक (प्रति टन 15 टन) प्याज की आवक हो रही है। यह सप्लाई खपत के मुकाबले कम है। उधर काउंसिल के डायरेक्टर आर. पी. गुप्ता ने बताया कि महाराष्ट्र और गुजरात के उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की फसल लेट हो गई है क्योंकि इन क्षेत्रों में मानसून देरी से सक्रिय हुआ।
अनुमान है कि फसल करीब एक माह की देरी से मंडियों में पहुंचेगी। अगस्त के अंत में महाराष्ट्र व गुजरात में अच्छी बारिश हुई है। इससे प्याज की पछैती फसल का रकबा बढऩे की संभावना है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के नागपुर स्थित प्रमुख उत्पादक मंडियों पिंपलगांव और लासलगांव के गोदामों में प्याज का पर्याप्त स्टॉक है क्योंकि पिछले रबी सीजन में प्याज की पछैती फसल भी अच्छी रही थी। (Business Bhaskar)

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