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14 अक्तूबर 2011

एक माह में ही डेढ़ लाख टन गेहूं का निर्यात

बांग्लादेश और खाड़ी देशों की आयात मांग बढऩे से महीने भर में ही डेढ़ लाख टन गेहूं की शिपमेंट हो चुकी है। गेहूं निर्यात के सौदे 274-285 डॉलर प्रति टन (एफओबी) के आधार पर हो रहे हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से निर्यातकों को अच्छा फायदा मिल रहा है। केंद्र सरकार ने 9 सितंबर को गेहूं के निर्यात पर लगी रोक को हटा लिया था। एम संस इंटरनेशनल लिमिटेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश और खाड़ी देशों को कंटेनर के माध्यम से गेहूं की शिपमेंट हो रही है। कंटेनर से भाड़ा कम होने के कारण अच्छे पड़ते लग रहे हैं। उधर रुपये के मुकाबले डॉलर भी मजबूत है। इसीलिए महीने भर में करीब डेढ़ लाख टन गेहूं की शिपमेंट हो चुकी है। अभी हाल ही में कंपनी ने बांग्लादेश के लिए 50,000 टन गेहूं का निर्यात सौदा 274.1 डॉलर प्रति टन की दर से किया है। परवीन कॉमर्शियल कंपनी के डायरेक्टर नवीन कुमार ने बताया कि जब तक डॉलर मजबूत है निर्यातकों को बराबर पड़ते लगते रहेंगे। निर्यातक गुजरात से कांडला बंदरगाह पहुंच सौदे 1,160-1,170 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रहे हैं। प्राइवेट व्यापारियों के पास गेहूं का स्टॉक अच्छा है। गुजरात में वेयरहाउस डिलीवरी गेहूं का भाव 1,100-1,110 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि बंगलुरू पहुंच गेहूं का भाव 1,270 से 1,300 रुपये प्रति क्विंटल है।ऑस्ट्रेलिया व्हीट बोर्ड (एबीडब्ल्यू) के भारत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार द्वारा गेहूं का खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) में भाव घटाए जाने से खुले बाजार में भी दाम कम हुए है। जिससे निर्यातकों को पड़ते लग रहे है। बांग्लादेश के लिए भारत से 274 से 285 डॉलर प्रति टन की दर से निर्यात सौदे हो रहे हैं। निर्यातक काकीनाड़ा बंदरगाह पर 1,300-1,310 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद कर रहे हैं। गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से निर्यातकों को पड़ते लग रहे हैं।केंद्रीय पूल में एक सितंबर को गेहूं का 336.21 लाख टन का बंपर स्टॉक बचा हुआ है जबकि रबी में गेहूं की बुवाई के लिए स्थिति एकदम अनुकूल है। कृषि सचिव पी. के. बसु के अनुसार मौसम फसल के अनुकूल रहा तो वर्ष 2012 में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 860 लाख टन होने का अनुमान है। बात पते की:- सरकार द्वारा गेहूं का खुले बाजार बिक्री योजना में भाव घटाए जाने से खुले बाजार में भी दाम कम हुए है। इससे निर्यातकों को पड़ते लग रहे (Business Bhaskar...R S Rana)

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