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23 नवंबर 2011

कीमतें गिरने से उत्पादक बेहाल

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली

अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक साल में इलायची के दाम 40.9 फीसदी घटे, 12 नवंबर 2010 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम 26.66 डॉलर प्रति किलो था जबकि चालू महीने के 11 नवंबर को दाम घटकर 15.73 डॉलर प्रति किलो के स्तर पर आ गया ग्वाटेमाला में इलायची की पैदावार 22.2 फीसदी और घरेलू पैदावार में 16.6' की बढ़ोतरी का अनुमानपिछले एक साल में हल्दी के दाम 66 फीसदी घट चुके हैं। एक दिसंबर 2010 को इरोड़ मंडी में भाव 17,000 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि मंगलवार को भाव घटकर 56,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गयाचालू सीजन में हल्दी की पैदावार 75 लाख बोरी होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 65 लाख बोरी का ही उत्पादन हुआ थाबासमती चावल निर्यात के लिए एमईपी 900 डॉलर प्रति टन, जबकि पाकिस्तान का चावल बिक रहा है सस्ताईरान से भुगतान विवाद और पाकिस्तान का निर्यात बढऩे से भारतीय बासमती चावल की निर्यात मांग कमजोरबासमती धान की पैदावार 10-15' ज्यादा होने से कीमतें 44.4' कमन्यूयॉर्क में मई महीने के वायदा अनुबंध में चार अप्रैल को कपास का दाम 196.49 सेंट प्रति पाउंड था जबकि मंगलवार को इसका भाव घटकर 90.81 सेंट प्रति पाउंड रह गयाचालू फसल सीजन में कपास की बंपर 61 लाख गांठ की पैदावार की संभावना31 मार्च को उत्पादक मंडियों में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 61,500 से 61,700 रुपये प्रति कैंडी था जबकि मंगलवार को भाव घटकर 3,7000 से 37,400 रुपये प्रति कैंडी रह गयापिछले एक साल में कपास, बासमती चावल, इलायची और हल्दी की कीमतों में करीब 39 से 66 फीसदी की गिरावट आ चुकी है जिससे उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस दौरान कपास की कीमतों में 53.7 फीसदी, बासमती धान की कीमतों में 25 फीसदी और इलायची की कीमतों में 41 फीसदी की गिरावट आई है। बासमती चावल में भुगतान विवाद और पाकिस्तान से प्रतिस्पर्धा बनी हुई है जबकि कपास, इलायची तथा हल्दी की पैदावार में बढ़ोतरी का असर निर्यात पर पड़ रहा है।
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सेतिया ने बताया कि ईरान से भुगतान विवाद और पाकिस्तान का निर्यात बढऩे से भारतीय बासमती चावल की निर्यात मांग कमजोर है। जबकि सरकार ने बासमती चावल के निर्यात के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 900 डॉलर प्रति टन तय किया हुआ है तथा पाकिस्तान का चावल अंतरराष्ट्रीय बाजार में इससे भी सस्ता है। अक्टूबर 2010 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय पूसा-1121 बासमती सेला चावल का भाव 1,150-1,200 डॉलर और ट्रेडिशनल बासमती का भाव 1,500 से 1,700 डॉलर प्रति टन था।
इस समय पूसा-1,121 का भाव 900-950 डॉलर और ट्रेडिशनल बासमती का 1,150-1,200 डॉलर प्रति टन है। उत्पादक मंडियों में पूसा-1,121 बासमती धान का भाव घटकर 1,775-1,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि पिछले साल इसका भाव 2600 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल था। ऐसे में बासमती धान के किसानों को चालू सीजन भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। वैसे भी चालू खरीफ में बासमती धान की पैदावार 10-15 फीसदी बढऩे की संभावना है।
केसीटी एंड एसोसिएटस के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढऩे से घरेलू बाजार में मार्च महीने में कपास के दाम उच्चतम स्तर पर पहुंच गए थे। 31 मार्च को उत्पादक मंडियों में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 61,500 से 61,700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) था जबकि मंगलवार को भाव घटकर 3,7000 से 37,400 रुपये प्रति कैंडी रह गया।
उधर न्यूयार्क में मई महीने के वायदा अनुबंध में चार अप्रैल को कपास का दाम 196.49 सेंट प्रति पाउंड था जबकि मंगलवार को इसका भाव घटकर 90.81 सेंट प्रति पाउंड रह गया। चालू फसल सीजन में कपास की रिकार्ड घरेलू पैदावार का असर कीमतों पर पड़ रहा है।
सेमैक्स एजेंसी के मैनेजिंग डायरेक्टर एम बी रुबारल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक साल में इलायची के दाम 40.9 फीसदी घटे हैं। 12 नवंबर 2010 को अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका भाव 26.66 डॉलर प्रति किलो था जबकि चालू महीने के 11 नवंबर को दाम घटकर 15.73 डॉलर प्रति किलो के स्तर पर आ गया।
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान रिकार्ड 1,850 टन का निर्यात भी हुआ है लेकिन ग्वाटेमाला में पैदावार 22.2 फीसदी और घरेलू पैदावार में 16.6 फीसदी की बढ़ोतरी का असर कीमतों पर पड़ रहा है।
नीलामी केंद्रों पर फरवरी से अभी तक इलायची की कीमतों में 40.7 फीसदी की गिरावट आकर भाव 800 रुपये प्रति किलो रह गए हैं। ग्वाटेमाला में इसकी पैदावार बढ़कर 22,000 टन और घरेलू फसल 14,000 टन होने की संभावना है। टरमरिक मर्चेंट्स एसोसिएशन के सचिव के वी रवि ने बताया कि पिछले एक साल में हल्दी के दाम 66 फीसदी घट चुके हैं। (Business Bhaskar....R S Rana)

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