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03 नवंबर 2011

महाराष्ट्र में सहकारी मिलों पर तंगी की मार

मुंबई October 31, 2011
चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र की सहकारी चीनी मिलें वित्तीय संकट की ओर बढ़ रही हैं। इसकी वजह 9,205 करोड़ रुपये मूल्य के पिछले सीजन के 35 लाख टन स्टॉक की बिक्री की समस्या, निर्यात के बावजूद उत्पादन लागत और आमदनी में बढ़ता अंतर और गन्ने की ज्यादा कीमत को लेकर किसानों के हंगामे के कारण नए पेराई सत्र के शुरू होने में देरी होना है। इसके अलावा कटाई और परिवहन कामगारों के भुगतान में 70 फीसदी हालिया बढ़ोतरी के कारण मिलों पर और वित्तीय बोझ बढ़ा है। वहीं, मिलों को इनपुट लागत पर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इनपुट लागत में पानी और बिजली का शुल्क, उर्वरक और वेतन आदि शामिल हैं। महाराष्ट्र में 170 मिलों की प्रतिनिधि संस्था फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज ने अनुमान लगाया है कि फैक्टरियों को ब्याज, भंडारण लागत और 35 लाख टन की शेष मात्रा (2010-11) पर बीमे का बोझ वहन करना पड़ेगा। वर्ष 2006-07 में चीनी की बची हुई मात्रा 34 लाख टन थी, जिसकी कीमत 4,200 करोड़ रुपये थी। वहीं, 2007-08 में 6,000 करोड़ रुपये की 29 लाख टन चीनी बची थी। वहीं, 2008-09 में चीनी की शेष मात्रा 5 लाख रही, जिसकी कीमत 1,500 करोड़ रुपये थी। यह 2009-10 में 14 लाख टन रही, जिसका मूल्य 4,055 करोड़ रुपये था। महाराष्ट्र ने हाल ही में चालू पेराई सीजन 2011-12 के अंत तक चीनी उत्पादन के अनुमान को संशोधित कर 87 लाख टन कर दिया है, जो पहले 93 लाख टन अनुमानित था। इसकी वजह गन्ने के उत्पादन में 60 लाख टन की गिरावट आने की संभावना है। महाराष्ट्र के पश्चिमी हिस्से में कम बारिश के कारण कम उत्पादन हुआ है। फेडरेशन के एक अधिकारी ने कहा कि 'खुले बाजार में चीनी की दरें पिछले कुछ महीनों से लगातार गिर रही हैं। निर्यात को शामिल करने के बाद भी चीनी से प्राप्त होने वाली वर्तमान एक्स मिल आमदनी 2,650 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि उत्पादन लागत 2,700 रुपये प्रति क्विंटल है। यह मिलों के लिए भारी वित्तीय समस्याओं और हानि का कारण है।' उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि चीनी मिलें राज्य में गन्ने की कीमत उचित व लाभकारी मूल्य 1,375 रुपये प्रति टन से ज्यादा देने के खिलाफ हैं। अधिकारी ने कहा कि 'कुल 168 मिलों (121 सहकारी और 47 निजी) में से मुश्किल से 15 ने पेराई शुरू की होगी। जबकि बाकी ने भड़के हुए गन्ना किसानों के संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के डर से पेराई शुरू नहीं की है।' (BS Hindi)

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