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05 नवंबर 2011

हीरों से दूर हुए निवेशक तो घट गई चमक

मुंबई November 04, 2011
तीन लाख करोड़ रुपये का भारतीय हीरा उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है और इसके 2009 की मंदी के दौर में पहुंचने की आशंका है। दीवाली पर कुल आभूषणों की बिक्री में 10-15 फीसदी कमी आने के साथ ही क्रिसमस और नव वर्ष के लिए अमेरिका से मिलने वाले ऑर्डरों में 20 फीसदी की गिरावट इस बात का संकेत है कि मौजूदा अनिश्चितता सभी आभूषणों की बिक्री को चोट पहुंचा रही है। बिक्री में गिरावट की आशंका के कारण डी बीयर्स की विपणन इकाई डायमंड ट्रेडिंग कंपनी (डीटीसी) ने अपने साइट होल्डर्स को कुछ समय के लिए अपनी खरीद रोक कर उसी समय खरीद करने को कहा है, जब उन्हें विनिर्माण के लिए माल की जरूरत हो। इसके बजाय वे अपने साइट बॉक्सों के भुगतान के लिए पैसा अपने पास रखें।इंटरनैशनल डायमंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन, इजरायल डायमंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और इजरायल डायमंड इंस्टीट्यूट (आईडीआई) के चेयरमैन मोती गंज ने कहा,'वर्ष 2011 की अंतिम तिमाही में कच्चे डायमंड की वैश्विक मांग करीब 1.2 अरब डॉलर रहने की संभावना है, जो पहली तीन तिमाहियों से हरेक में 4.6 अरब डॉलर की बिक्री से कम है।' पूरे विश्व में उत्खनित होने वाले हरेक 13 हीरों में से 11 का प्रसंस्करण भारत में होता है। इसलिए कच्चे डायमंड के कम उत्पादन और बिक्री से भारत में इसकी कटाई और पॉलिशिंग का काम कम हो जाएगा। वहीं, भारतीय हीरा प्रसंस्करण उद्योग में दीवाली के बाद 30-45 दिन का अवकाश रहता है, क्योंकि इस दौरान मजदूर अपने घर जाते हैं। इसके बाद वे दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में काम पर लौटते हैं। इस अवधि में भारत में प्रसंस्करण का काम कम होने की वजह से डीटीसी ने अगले साइट आवंटन को घटाकर 30 करोड़ डॉलर करने का निर्णय लिया है। पिछला साइट आवंटन 44.4 करोड़ डॉलर का था। वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाली आभूषण निर्यात कारोबार की सर्वोच्च संस्था रत्न एवं आभूषण निर्यात परिषद (जीजेईपीसी) के उपाध्यक्ष संजय कोठारी ने कहा, 'जानी-मानी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स के अमेरिका की रेटिंग घटाने के साथ ही अगस्त 2011 से आभूषणों की खुदरा बिक्री में गिरावट शुरू हो गई थी क्योंकि व्यक्तिगत ग्राहक अपने पास नकदी रखने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं और ताजा खरीदारी टाल रहे हैं।' सोने और हीरे की कीमतों के आसमान छूने के कारण ग्राहकों ने धीरे-धीरे आभूषणों में निवेश टालना शुरू कर दिया। इस कारण भारतीय प्रसंस्करणकर्ताओं के पास आभूषणों के ऑर्डर मात्रा के लिहाज से 15 से 20 फीसदी घट चुके हैं। हालांकि कीमत के लिहाज से 10 फीसदी बढ़ोतरी की संभावना है। कोठारी ने कहा कि आमतौर पर हीरे के भारतीय प्रसंस्करणकर्ताओं को अमेरिका से एक-तिहाई ऑर्डर क्रिसमस और नव वर्ष के मौके पर मिलते हैं। अमेरिका में यह त्योहारी सीजन करीब 45 दिन यानी फरवरी में मदर्स डे तक चलता है। लेकिन इस वर्ष उत्साहजनक ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं।पिछली मंदी के दौरान भारतीय हीरा उद्योग के 4,00,000 कुशल कर्मचारियों में से 40 फीसदी अन्य उद्योगों की ओर पलायन कर गए थे, जिससे इस उद्योग को करोड़ों का नुकसान हुआ। लीमन ब्रदर्स के पतन के साथ शुरू हुई पिछली मंदी सितंबर 2008 से लेकर 2010 तक चली थी।अमेरिकी बाजार में सस्ते और छोटे हीरों की मांग घटने की कुछ हद तक भरपाई भारत और चीन के घरेलू बाजारों से हुई है, लेकिन इन उभरते हुए बाजारों में ग्राहक बड़े और उच्च गुणवत्ता वाले हीरों की मांग करते हैं। उधर भारतीय ग्राहक बढ़ती मुद्रास्फीति से जूझ रहे हैं, जिससे इस वर्ष उनकी खर्च योग्य आय पिछले साल के मुकाबले कम हो गई है। (BS Hindi)

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