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22 दिसंबर 2011

खाद्य सुरक्षा बिल संसद में पेश किया गया

गुरुवार, 22 दिसंबर, 2011
ग़रीबों को सस्ता अनाज मुहैया कराने के लिए बहुप्रतिक्षित खाद्य सुरक्षा विधेयक को सरकार ने लोकसभा में गुरुवार को पेश किया.
लोकसभा में बुधवार को वामपंथी दलों और तेलेगु देसम के सांसदों ने खाद्य सुरक्षा विधेयक के दायरे में दो तिहाई लोगों को रखे जाने के बजाए सभी को सस्ती दरों पर अनाज पर उपलब्ध कराए जाने की वकालत की थी. यूपीए सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक इस विधेयक में देश के 60 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों को सस्ते दरों पर अनाज दिए जाने का प्रावधान है.
रविवार शाम दिल्ली में प्रधानमंत्री निवास पर यूपीए सहयोगियों तथा कुछ कांग्रेसी सदस्यों की चिंताओं को दूर करने के बाद मंत्रिमंडल की बैठक में खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी गई थी.
ग़ौरतलब है कि मौजूदा बिल के मसौदे के दायरे में देश की क़रीब 63 फ़ीसदी आबादी ही आएगी, कुछ सामाजिक संस्थाओं और वामपंथी गुटो का मानना है कि जन वितरण में धांधली रोकने के लिए इसमें बीपीएल जैसी कोई श्रेणी नही होनी चाहिए और सभी को सस्ते दरों पर खाद्य पदार्थ बांटे जाने चाहिए.
कांग्रेस ने साल 2009 के अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस क़ानून को लाने का वादा किया था. राष्ट्रपति ने भी जून, 2009 में संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए इसकी घोषणा की थी.
इससे सरकारी खज़ाने पर 27,663 करोड़ रूपए का अतिरिक्त भार पड़ेगा.
सस्ता अनाज
खाद्य सुरक्षा विधेयक की ख़ास बात यह है कि इसके कानून बन जाने से देश की दो तिहाई आबादी को कम क़ीमतों पर अनाज मिलेगा.
विधेयक में लाभ प्राप्त करने वालों को प्राथमिकता वाले परिवार और सामान्य परिवारों में बांटा गया है.
प्राथमिकता वाले परिवारों में गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले और सामान्य कोटि में गरीबी रेखा से उपर के परिवारों को रखे जाने की बात कही गई है.
ग्रामीण क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 75 प्रतिशत आबादी आयेगी जबकि शहरी क्षेत्र में इस विधेयक के दायरे में 50 प्रतिशत आबादी आयेगी.
विधेयक में प्रत्येक प्राथमिकता वाले परिवारों को तीन रूपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल और दो रूपये प्रति किलोग्राम की दर से गेहूं उपलब्ध कराने की बात कही गई है.
खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे के प्रावधानों के तहत देश की 63.5 प्रतिशत जनता को खाद्य सुरक्षा प्रदान की जाएगी. खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63,000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95,000 करोड़ रुपए कर दिया जाएगा.इस विधेयक के क़ानून में बदल जाने के बाद अनाज की मांग 5.5 करोड़ मैट्रिक टन से बढ़ कर 6.1 मैट्रिक टन हो जाएगी. (BBC Hindi)

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