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10 जनवरी 2012

तंबाकू के थोक कारोबार में एफडीआई पर लगे पाबंदी

कानून मंत्रालय ने कहा है कि वह तंबाकू के थोक कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर प्रतिबंध लगाने के वाणिज्य मंत्रालय के प्रस्ताव के पक्ष में है। वर्तमान में तंबाकू और इसके पूरक उत्पादों का विनिर्माण एफडीआई प्रेस नोट की निषेधात्मक सूची में शामिल है। कैश ऐंड कैरी श्रेणी के तहत सिगरेट और अन्य संबंधित उत्पादों के थोक कारोबार में 100 फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिली हुई है, हालांकि इसके लिए स्वीकृति लेनी पड़ती है। निर्देशों के तहत विदेशी तंबाकू कंपनियां ब्रांडिंग और विज्ञापन के लिए निवेश कर सकती हैं, लेकिन खुदरा विक्रेताओं को किसी भारतीय उद्यमी के साथ संयुक्त उपक्रम स्थापित कर ही सीधे बिक्री की जा सकती है।
इस मामले से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि देश में तंबाकू का उत्पादन और उपयोग घटाने के स्वास्थ्य मंत्रालय के सुझाव पर वाणिज्य मंत्रालय ने इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है। दूसरी ओर, जापान टोबैको लिमिटेड ने अपने भारतीय संयुक्त उद्यम में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से आग्रह किया है।
अधिकारियों ने कहा कि कानून मंत्रालय का यह मानना है कि तंबाकू के विनिर्माण पर रोक लगाने के लिए वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जिन परिस्थितियों पर विचार किया गया था, वे इसके कारोबार पर भी लागू होती हैं। अगर ये परिस्थितियां बदल गई हैं और अगर वाणिज्य मंत्रालय ऐसा सोचता है तो वह इसके बारे में कानून मंत्रालय को सूचित कर सकता है। अन्यथा ऐसी शर्तें इसके कारोबार पर भी लगाई जा सकती हैं। विनिर्माण पर जिन कारणों से रोक लगाई गई है, उनमें घरेलू उत्पादन, घरेलू रोजगार और स्वास्थ्य स्थितियां शामिल हैं।
अधिकारियों ने कहा कि भारतीय संयुक्त उपक्रमों में पूंजी झोंककर विदेशी कंपनियां विनिर्माण में एफडीआई पर रोक का भी तोड़ निकाल सकती हैं और खुदरा बिक्री की आड़ में विनिर्माण कर सकती हैं। इस तरह की आशंका कानून मंत्रालय के समक्ष रखी गई। एक स्रोत ने कहा, 'अन्यथा विश्व व्यापार संगठन के स्तर पर इस मुद्दे की व्याख्या एक उद्योग के लिए शुल्क रहित प्रतिबंध के रूप में की जा सकती है।' जापान टोबैको के इस प्रस्ताव को एफआईपीबी ने करीब दो साल के लिए स्थगित रखा है। तंबाकू की खेती, प्रसंस्करण, विपणन, विनिर्माण और निर्यात देश के 3.6 करोड़ लोगों के रोजगार का स्रोत है। कृषि मंत्रालय ने किसानों को गन्ने और कपास जैसी अन्य नकदी फसलों समेत गैर एफसीवी तंबाकू का सुझाव देना शुरू कर दिया है। एफसीवी सिगरेट के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाली तंबाकू की किस्म है। रोजगार के संबंध में वाणिज्य मंत्रालय अन्य सरकारी रोजगार गारंटी योजनाओं के तहत प्रसंस्करण उद्योग में तंबाकू रोजगार योजना चलाने के लिए ग्रामीण विकास के साथ समन्वय कर रहा है। भारत में तंबाकू उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में करीब 20,000 करोड़ रुपये का वार्षिक योगदान होता है। (BS Hindi)

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