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20 जनवरी 2012

फ्लश सीजन में भी ग्राहकों की जेब पर दूध की मार

आर. एस. राणा दिल्ली
आमतौर पर फ्लश सीजन के दौरान उपभोक्ता दूध के मूल्य में राहत मिलने की उम्मीद कर सकते हैं। देश में दूध की सुलभता और मूल्य के ग्राफ को देखें तो सदियों से यह रुख हमेशा देखा गया लेकिन इस साल सर्दियों में भी उपभोक्ताओं को दूध के मूल्य में राहत के मामले में मायूसी ही हाथ लग रही है। दरअसल, डेयरी कंपनियों ने किसानों से दूध की खरीद के मूल्य में तो कमी की है लेकिन इसका फायदा आगे उपभोक्ताओं को नहीं दिया, बल्कि उन्होंने यह फायदा अपनी जेब में रख लिया। बात यहीं खत्म नहीं होती है, होली के बाद दूध की सप्लाई कम होती है तो उपभोक्ताओं की जेब पर भार बढऩे की संभावना पूरी-पूरी है क्योंकि दूध कंपनियां खुदरा दरें बढ़ाने में कोई संकोच नहीं करेंगी। दूध की सप्लाई बढऩे के कारण दूध की खरीद कीमतें तो कंपनियों ने कम कर दी लेकिन बिक्री मूल्य ज्यों के त्यों हैं। दूध की खरीद में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है इसके अलावा 30 हजार टन स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और 15 हजार टन बटर ऑयल आयात होने से इस समय दूध की उपलब्धता अच्छी है। देश में दूध वितरण की सबसे बड़ी सहकारी संस्था गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) अमूल दिल्ली में 38 रुपये प्रति लीटर (फुल क्रीम) की दर से दूध बेच रही है। मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल्स प्राइवेट लिमिटेड 37 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध बेच रही है। अमूल ने दूध का खरीद भाव 450 रुपये प्रति किलो फैट से घटाकर 420 रुपये कर दिया है। ऐसे में किसानों को पहले 29 रुपये प्रति लीटर का भाव मिल रहा था लेकिन अब 27 रुपये मिल रहा है। मदर डेयरी ने भी दूध की खरीद के दाम 27.50-29.50 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 25.50-27.50 रुपये कर दिए हैं। ऐसे में कंपनियों के मार्जिन में तो बढ़ोतरी हो गई है लेकिन इसका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। दिल्ली में मदर डेयरी करीब 30 लाख और अमूल 15 लाख लीटर दूध रोजाना बेच रही हैं।
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष एन. आर. भसीन ने बताया कि कंपनियां दूध के खरीद भाव में कटौती कर देती है जिससे किसानों की दूध बिक्री से आय कम हो गई है। लेकिन कंपनियों ने बिक्री भाव कम नहीं किए हैं। भसीन का कहना है कि सहकारी संस्थाओं को किसानों को दूध का उचित दाम देना चाहिए। इसके अलावा उपभोक्ताओं को भी वाजिब दाम पर दूध की सप्लाई करनी चाहिए। खरीद भाव में कटौती करने से कंपनियों के मार्जिन में तो बढ़ोतरी हुई है लेकिन उसका फायदा उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में दूध का उत्पादन 10.85 करोड़ टन और वर्ष 2011 में 11.25 करोड़ टन का हुआ है। चालू वर्ष में उत्पादन बढ़कर 11.50-11.60 करोड़ टन होने का अनुमान है। वर्ष 2011 में दूध की मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होने के कारण 30 हजार टन एसएमपी और 15 हजार टन बटर ऑयल का आयात किया गया था। चालू सीजन में अभी दूध की उपलब्ध्ता अच्छी रहने की संभावना है। ऐसे में आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्टर्लिंग एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कुलदीप सलूजा ने बताया कि फ्लश सीजन होने के दूध की सप्लाई बढ़ी है। साथ ही एसएमपी और बटर ऑयल आयात कर लेने से उपलब्ध्ता अच्छी है लेकिन होली के बाद दूध की सप्लाई कम हो जाएगी जिससे दूध और दूध उत्पादों की कीमतों में तेजी आ सकती है। देसी घी का भाव दिल्ली में 3,800-4,000 रुपये प्रति 15 किलो और एसएमपी का भाव 175 से 185 रुपये प्रति किलो है। दिवाली के बाद से घी की कीमतों में 200 रुपये प्रति 15 किलो की और एसएमपी की कीमतों में 15 से 25 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है।(Business Bhaskar...R S Rana)

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