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25 जनवरी 2012

एक्सचेंज के सदस्यों पर एफएमसी की बढ़ी सख्ती

राष्ट्रीय एक्सचेंजों की रोजमर्रा की गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने सभी जिंस एक्सचेंजों के सदस्यों से कहा है कि शेयरधारिता आदि में बदलाव से पहले वे आयोग से मंजूरी लें। नाम व शेयरधारिता में परिवर्तन और सदस्यता के समर्पण के बारे में अभी तक सदस्यों को संबंधित एक्सचेंज से मंजूरी लेनी पड़ती थी। एफएमसी के इस निर्देश को न मानने वाले सदस्यों पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
एमके कॉमट्रेड लिमिटेड के सीईओ अशोक मित्तल ने कहा, 'एक्सचेंज और सदस्यों के संबंधों के लिए विभिन्न जरिए मौजूद हैं। कुछ मामलों में हम संबंधित एक्सचेंज से मंजूरी लेते हैं। लेकिन दूसरे मामलों में बदलाव के बाद हम पूर्वानुमति के बिना एक्सचेंज को सूचित करते हैं। इस निर्देश के बाद हालांकि कंपनी में महत्वपूर्ण बदलाव से पहले हमें नियामक की मंजूरी लेनी होगी।'
एनसीडीईएक्स ने अपनी वेबसाइट पर एफएमसी का सर्कुलर डाला है। इसमें कहा गया है कि एफएमसी के निर्देशों के मुताबिक सदस्यों को नाम में बदलाव और सदस्यता के हस्तांतरण के अलावा सदस्यता के समर्पण के मामले में नियामक से पहले इजाजत लेनी होगी। सर्कुलर में कहा गया है कि शेयरधारिता में परिवर्तन के प्रस्ताव से कंपनी या फर्म के नियंत्रण में बदलाव होता है, लिहाजा इसके लिए सबसे पहले एफएमसी से मंजूरी जरूरी है। प्रोप्राइटरशिप में बदलाव के लिए भी पहले नियामक की मंजूरी लेनी होगी और फिर एक्सचेंज समेत दूसरी संस्थाओं को बताना होगा। इसमें हिंदू अविभाजित परिवार के भीतर हस्तांतरण के मामले भी शामिल होंगे।
अब तक सदस्य इस तरह के बदलाव की सूचना संबंधित एक्सचेंजों को देते रहे हैं। अन्य बदलावों की बाबत हालांकि अधिकृत एक्सचेंज मंजूरी देते हैं। मित्तल ने कहा, हो सकता है एक्सचेंजों पर बेहतर नियंत्रण, निगरानी आदि की खातिर एफएमसी ने यह कदम उठाया हो।
आम चलन के मुताबिक नाम में बदलाव की मंजूरी पहले रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज देते हैं और बाद में एक्सचेंज इसे प्रमाणित करता है। इस काम में काफी समय भी लगता है। उदाहरण के तौर पर, एक बार जब आरओसी नाम में बदलाव की मंजूरी देकर इसे एक्सचेंज को भेज देते हैं और अगर पाया जाता है कि यह नाम पहले से ही है तो फिर से बदलाव की दरकार होती है।
मित्तल ने कहा, इसके अलवा भ्रम पैदा करने वाले नाम मसलन एबीसी स्टॉक ऐंड शेयर ब्रोकिंग से बचा जाना चाहिए, जो न तो जिंस कारोबार में शामिल कंपनी का संकेत देती है, न ही वह साख वाली कंपनी की तरह नजर आती है। ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक नवीन माथुर के मुताबिक एफएमसी के दिशानिर्देश से पूरे जिंस वायदा कारोबार में और पारदर्शिता आएगी। 31 दिसंबर 2011 को समाप्त पखवाड़े में वायदा एक्सचेंजों का कुल कारोबार 50 फीसदी उछलकर 665112.10 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 438394.74 करोड़ रुपये था। (BS Hindi)

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