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04 फ़रवरी 2012

रिकॉर्ड खाद्यान्न का अनुमान

महंगाई पर काबू पाने की सरकारी कोशिश को झटका लग सकता है क्योंकि दलहन और तिलहन का उत्पादन इस साल क्रमश: 5.2 व 6 फीसदी घटने का अनुमान है। जरूरतें पूरी करने के लिए हर साल दलहन व खाद्य तेल का बड़ी मात्रा में आयात किया जाता है।

हालांकि खाद्यान्न के मामले में इस तरह की चिंता नहीं है क्योंकि साल 2011-12 के फसल विपणन वर्ष में उत्पादन अब तक के सर्वोच्च स्तर 25.042 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है। साल 2011-12 के दूसरे अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि गेहूं और चावल के उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के चलते खाद्यान्न का उत्पादन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है।

शुक्रवार को जारी अनुमान में कहा गया है कि इस साल गेहूं का उत्पादन 883.1 लाख टन पर पहुंचने की संभावना है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 1.6 फीसदी ज्यादा है। इस अवधि में 1030 लाख टन चावल का उत्पादन हो सकता है, जो पिछले साल के मुकाबले 7 फीसदी ज्यादा है।

14 जनवरी को समाप्त हफ्ते में लगातार चौथे हफ्ते अवस्फीति की स्थिति रही। इस दौरान कीमतें 1.03 फीसदी तक कम हुईं जबकि एक हफ्ते पहले यह 0.42 फीसदी घटी थी। इसकी मुख्य वजह फलों व सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट रही।

इस बीच, आंकड़ों से पता चलता है कि कपास का उत्पादन रिकॉर्ड 340.9 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) पर पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 3.3 फीसदी ज्यादा है। इसी तरह इस साल गन्ने का उत्पादन करीब 1.6 फीसदी बढ़कर 3478.7 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है।

सबसे बड़ी चिंता दलहन और तिलहन को लेकर है। अधिकारियों ने कहा कि खरीफ सीजन में बारिश के असमान वितरण के चलते इन दोनों फसलों का उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा देश के उत्तरी इलाके में जाड़े के दौरान होने वाली बारिश भी घटी है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, अक्टूबर से दिसंबर के बीच देश में करीब 50 फीसदी कम बारिश हुई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा - जाड़े में बारिश के अभाव से रबी में दलहन की फसलों पर असर पड़ा है, साथ ही सरसों भी प्रभावित हुआ है, जिसकी बुआई मुख्य रूप से इसी सीजन में होती है।

उन्होंने कहा कि एक बार फिर आपूर्ति बढ़ाने के लिए देश को आयात पर निर्भर रहना होगा। साल 2010-11 में भारत में दलहन आयात घटकर करीब 15 लाख टन रह गया था, जो औसतन 25 से 30 लाख टन होता था। इसकी वह देश में उत्पादन बढऩा है, जो 180 लाख टन के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। दालों का आयात कनाडा, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया और कुछ अफ्रीकी देशों से होता है।

तिलहन में भी ऐसी ही स्थिति पैदा होने की संभावना है, जहां उत्पादन में गिरावट मुख्य रूप से सरसों का उत्पादन घटने के चलते आएगी, जिसके चलते आयात पर जोर पड़ सकता है। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा - देश में खाद्य तेल की उपलब्धता में सरसों का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि इससे सबसे ज्यादा तेल निकलता है।

दलहन व तिलहन के कुल उत्पादन में गिरावट के अनुमान के बाद सरकार की उन कोशिशों पर सवाल खड़ा हो गया है, जिसके तहत सरकार ने रबी सीजन के दौरान देश के 12 प्रमुख दलहन उत्पादक इलाकों के लिए 80 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन किया था। इसका आवंटन खरीफ सीजन में दलहन के उत्पादन में 10 फीसदी की गिरावट और बारिश के असमान वितरण के बाद किया गया था। (BS Hindi)

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