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01 मार्च 2012

कृषि अनुसंधान का बजट होगा दोगुना

नई दिल्ली । कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए आम बजट में इस बार अनुसंधान व विकास पर ज्यादा जोर होगा। इसके बजट में दोगुना तक वृद्धि की उम्मीद है। हरित क्रांति को और समर्थन देने के साथ बागवानी, पशु पालन व दुग्ध विकास के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा।

दूसरी हरित क्रांति का जो दारोमदार केंद्र ने पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों के कंधे पर डाला, उसे उन्होंने शिद्दत से निभाया भी। केंद्र का समर्थन मिला तो यहां के किसानों ने बेहतरीन उत्पादकता की मिसाल कायम की है। पूर्वी क्षेत्र में खेती की संभावनाओं के दोहन के लिए बजट में प्रमुख घोषणाएं की जाएंगी।

आम बजट में हरित क्रांति को आगे बढ़ाने के लिए पूर्वी राज्यों के किसानों को और बड़ा तोहफा देने की तैयारी है।

कृषि की ठहरी विकास दर को गति देने के लिए साथ बागवानी, पशुपालन, दुग्ध विकास, पोल्ट्री और अन्य उद्यमों को खास तरजीह दी जाएगी। पिछले बजट में 300 करोड़ रुपये के प्रावधान से हरा पशुचारा विकास योजना शुरू की गई थी। पशुचारे की मांग व आपूर्ति के अंतर को घटाकर दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए खास प्रयास किए जाएंगे।

असंतुलित खादों के प्रयोग और अंधाधुंध दोहन से भूजल के नीचे जाने से खेती वाली जमीन की उत्पादकता कई राज्यों में घटने लगी है। जलवायु परिवर्तन से भी फसलों की पैदावार कम हुई है। सरकार का ध्यान इस ओर है, जिसके लिए प्रावधान होंगे। पिछले सालों में मृदा परीक्षण की सचल प्रयोगशाला योजना को किसानों ने हाथोंहाथ लिया गया है। संतुलित खाद के प्रयोग को प्रोत्साहित करने के साथ वैज्ञानिक पोस्ट हार्वेस्टिंग पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।

आयातित दालों से निजात दिलाने के लिए बजट में कुछ खास प्रावधान किया जाएगा। साठ हजार दलहन गांवों के अनूठे प्रयोग से उत्पादन बढ़कर 1.80 करोड़ टन पहुंच गया है। बदलती दिनचर्या में मोटे अनाजों की मांग बढ़ी है। इसकी उत्पादकता के लिए बजट में असिंचित खेती वाले क्षेत्रों के किसानों पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की मेहरबानी जरूर होगी। (Dainik Jagran)

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