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01 मार्च 2012

महंगे चारे से दूध में आएगा उबाल

करीब पांच महीने तक स्थिर रहने के बाद दूध की कीमतें एक बार फिर बढऩी शुरू हो गई हैं। चारे की बढ़ती कीमतों के चलते मुंबई की निजी डेयरी दूध की कीमतों में 1 मार्च से 10 फीसदी का इजाफा करने जा रही है।
पिछली बार दूध की कीमतों में 11 सितंबर को संशोधन हुआ था और निजी डेयरी ने कीमतें 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी थी। इसके बाद अमूल व महानंदा जैसी संगठित डेयरी ने कीमतों में 1 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया था। इस बार निजी डेयरी ने आगे बढ़ते हुए दूध की कीमतें 4 रुपये प्रति लीटर की भारी भरकम बढ़ोतरी करने जा रही है। इस तरह से दूध के संगठित खिलाडिय़ों के लिए भी बढ़ोतरी का मौका सामने आ गया है।
इस तरह से निजी डेयरी गुरुवार से 48 रुपये प्रति लीटर पर दूध बेचेगी जबकि फिलहाल इसकी कीमत 44 रुपये प्रति लीटर है। पश्चिमी मुंबई के उपनगरीय इलाके में स्थित अशोक डेयरी के मालिक अशोक शर्मा ने कहा - चारे की बढ़ती कीमतों का भार उपभोक्ताओं पर डालने के अलावा हमारे पास दूसरा कोई और विकल्प नहीं है। उनके पास 200 भैसें हैं और रोजाना करीब 200 लीटर दूध का उत्पादन होता है।
चारे के बारे में शर्मा ने कहा कि इसकी कीमतें पिछले कुछ महीने में 12-15 फीसदी बढ़ी है। पशु चारे में प्रमुख रूप से इस्तेमाल होने वाले मक्के की की औसत कीमतें पिछले एक साल में करीब 18 फीसदी बढ़कर 11,518 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई है। इस बीच, गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ (अमूल ब्रांड की मालिक) जैसे संगठित खिलाडिय़ों ने कीमतों में बढ़ोतरी की बाबत अभी कोई फैसला नहीं लिया है। सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा - फिलहाल हम दूध की कीमतें नहीं बढ़ाने जा रहे हैं। लेकिन हम कीमतों में कटौती भी नहीं करने जा रहे क्योंकि भारत में डेयरी उत्पाद सबसे सस्ते हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में दूध की कीमत की तुलना भारत से करने पर पता चलता है कि वहां एक लीटर दूध एक डॉलर में मिलता है जबकि भारत में इसके लिए आधा डॉलर ही चुकाना पड़ता है।
जीसीएमएमएफ गुजरात में रोजाना 140 लाख लीटर दूध हासिल कर रही है, जो एक साल पहले के मुकाबले 19 फीसदी ज्यादा है। सहकारी संघ रोजाना राज्य में डेयरी किसानों को करीब 30 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है। जीसीएमएमएमएफ के मुताबिक, भारतीय किसानों को दूध की अधिकतम कीमतें मिलती हैं क्योंकि उन्हें उपभोक्ता के रुपये का 70-80 फीसदी हासिल होता है, वहीं दुनिया के दूसरे हिस्से में किसानों को उपभोक्ता डॉलर का एक तिहाई मिलता है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य व कृषि संगठन के अध्ययन में कहा गया है कि बढ़ती खपत के चलते भारत में दूध का उत्पादन साल 2011 में 4 फीसदी बढ़कर 12.17 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है। साल 2010 में देश में 11.6 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था। एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दूध व डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रही है क्योंकि डेयरी उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत मोटे तौर पर अनुपस्थित है। संस्था ने खाद्य परिदृश्य पर अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक स्तर पर दूध का उत्पादन साल 2011 में 2 फीसदी बढ़कर 72.8 करोड़ टन हो जाने का अनुमान है। (BS HIndi)

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