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06 मार्च 2012

कॉटन निर्यात पर लगा बैन टेक्सटाइल उद्योग सकते में

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली

सरकार ने सोमवार को कॉटन के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, इससे कॉटन उत्पादकों व टेक्सटाइल उद्योग पर विपरीत असर पडऩे की आशंका पैदा हो गई है। कॉटन किसान व यार्न निर्माता सरकार के इस फैसले को गलत बता रहे हैं। निर्यात पर रोक से उत्पादक मंडियों में कॉटन की कीमतों में एक ही दिन में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ गई जिसके कारण महाराष्ट्र की कई मंडियों में किसानों और व्यापारियों के बीच झड़प हुई। गुजरात के जिनर्स ने इसके विरोध में 7-8 मार्च को बंद का आह्वान किया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अगले आदेश तक कॉटन के निर्यात पर रोक लगाई गई है। सरकार ने चालू सीजन में 84 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कॉटन के निर्यात का लक्ष्य तय किया था, जबकि अभी तक 91 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी है। मार्च के आखिर तक 100 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान था। किसानों का यह भी कहना है कि इस फैसले से नए सीजन में कॉटन की बुवाई में कमी आएगी। हालांकि, कॉटन निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले को अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) ने जायज ठहराया है। घरेलू गारमेंट निर्माताओं के मुताबिक इस फैसले से उनकी लागत में कमी आएगी।

गिन्नी फिलामेंट्स के एमडी और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया के मुताबिक सरकार ने कॉटन निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले यार्न इंडस्ट्री से कोई विचार-विमर्श नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इस प्रकार की दखलअंदाजी से टेक्सटाइल इंडस्ट्री की पूरी चेन प्रभावित होगी। पिछले साल कॉटन और यार्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से यार्न उद्योग का बुरा हाल हो गया जिसका खमियाजा वे अब तक भुगत रहे हैं। जयपुरिया ने सरकार के इस फैसले से यार्न कंपनियों के शेयर गिरने की भी आशंका जाहिर की। एईपीसी के चेयरमैन ए.शक्तिवेल ने कहा कि एक किलोग्राम कॉटन की उत्पादकता जहां 100 रुपये की है, वहीं एक पैंट की उत्पादकता 500 रुपये के बराबर होती है। कॉटन की उपलब्धता से उनकी लागत कम रहेगी और इससे निर्यात कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा। क्लॉथ मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) के पदाधिकारियों के मुताबिक कॉटन निर्यात पर प्रतिबंध से निश्चित रूप से घरेलू गारमेंट निर्माताओं को फायदा मिलेगा क्योंकि इससे कॉटन की कीमत में कमी आएगी जिसका असर यार्न और फैब्रिक पर होगा।

वहीं, दूसरी तरफ सौराष्ट्र जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत वाला ने बताया कि निर्यात के विरोध में 7-8 मार्च को गुजरात बंद का आह्वान किया गया है। इसके बाद 9 मार्च को बैठक करके आगे की रणनीति तय की जाएगी। महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के किसान सुरेश बोलनेवार ने बताया कि कॉटन के दाम एक ही दिन में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए।
उनके पास तकरीबन 150 क्विंटल कॉटन है। एक तो दाम वैसे ही पिछले साल से कम थे, ऊपर से निर्यात बंद कर दिया गया है। इससे सोमवार को मंडी में कॉटन का दाम घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। सुरेश ने बताया कि अगले साल मैं कॉटन के बजाय सोयाबीन की बुवाई करूंगा। भारतीय किसान यूनियन पंजाब के अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने कहा कि सरकार उद्योगों के दबाव में काम कर रही है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार कॉटन का उत्पादन बढ़कर 340.87 लाख गांठ हो जाने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2010-11 में उत्पादन 330 लाख गांठ का हुआ था। कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार वर्ष 2011-12 में कॉटन का उत्पादन 345 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि 48.30 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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