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13 मार्च 2012

कपास निर्यात के टूटे धागे

सरकार ने कपास निर्यातकों को आंशिक तौर पर ही राहत दी है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि निर्यातक इसके जरिये विदेश में माल अधिसंचयन करते हैं। इसलिए सरकार ने महज उसी माल को निर्यात की अनुमति दी है, जिसका पंजीकरण हो चुका है और वह भी दस्तावेजों की दोबारा जांच के बाद। विदेश निर्यात महानिदेशालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार अगले आदेश आने तक नए पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) जारी नहीं
किए जाएंगे।
लेकिन इस फैसले की समीक्षा एक मंत्रिसमूह द्वारा की जाएगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, कृषि मंत्री शरद पवार और वाणिज्य, उद्योग एवं कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा की सदस्यता वाला यह समूह अगले दो हफ्तों में इसकी समीक्षा करेगा।
वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर ने कहा कि निर्यात पर पाबंदी लगने से पहले मंत्रालय के पास 35 लाख गांठ कपास का पंजीकरण हुआ था। लेकिन अभी तक उसका निर्यात नहीं हुआ है, उसे दोबारा वैधता की जांच करानी होगी। खुल्लर ने कहा, 'जब तक दोबारा वैधता जांचने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक कोई नए आरसी जारी नहीं किए जाएंगे। पंजीकृत 35 लाख गांठ कपास का भविष्य तय होने तक नए आरसी जारी करने का सवाल ही नहीं उठता है।'
कपास निर्यातकों को आशंका है कि दोबारा वैधता जांचने की आड़ में देसी कंपनियों की विदेशी सह-इकाइयों के साथ निर्यात व्यापार की भी जांच की जा सकती है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास निर्यातक देश है और इसका सबसे बड़ा ग्राहक चीन है। खुल्लर ने कहा कि 85 फीसदी निर्यात चीन जा रहा है और देसी कंपनियों द्वारा विदेश में माल संचयन के भी सबूत मिले हैं। कपास निर्यात पर पाबंदी लगाने की वजह भी यही थी।' उन्होंने बताया कि दो हफ्तों में कपास निर्यात 95 लाख गांठ पर पहुंच गया है। (BS Hindi)

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