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29 मार्च 2012

ग्वार वायदा पर एफएमसी की रोक

जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने बुधवार से ग्वार के वायदा कारोबार पर रोक लगा दी है वहीं आयोग ने अन्य कृषि जिंसों की कीमतों में जानबूझकर बढ़ोतरी करने के मामले की भी जांच करने का निर्णय किया है।
एफएमसी ने जिंस एक्सचेंजों से आलू, ग्वार, चना, आरएम सीड, इलायची, मेंथा तेल, काली मिर्च और सोयाबीन जैसी जिंसों के लिए पिछले 6 महीनों के मार्क-टु-मार्केट (एम2एम) बेनिफिशियरी खातों की विस्तृत जानकारी मांगी है।
इसकी पुष्टि करते हुए एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा, 'हमने ज्यादा उतार-चढ़ाव वाले कृषि जिंसों के लिए एक्सचेंजों से बेनिफिशियरी खातों की जानकारी मांगी है। अगर कीमतों में हेरफेर की बात सामने आई, तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे।' वायदा बाजार में ग्वार की कीमत लगातार बढऩे के कारण आयोग ने इसके कारोबार पर तुरंत प्रभाव से रोक लगा दी है। सभी ओपन पोजीशंस मंगलवार के बंद भाव पर निपटाई जाएंगी। इस जनवरी से लेकर अभी तक ग्वार गम और ग्वार बीज के दाम 70 फीसदी बढ़ चुके हैं।
जनवरी 2009 में हल्दी का भाव 35 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहा था लेकिन इसमें हेरफेर कर इसे एक साल में 150 रुपये प्रति किलो पर पहुंचा दिया गया था। लेकिन कुछ महीनों बाद यह 40 रुपये प्रति किलो पर आ गया। अप्रैल 2011 में काली मिर्च का भाव 225 रुपये प्रति किलो था, जो मार्च 2012 में 95
फीसदी बढ़कर 432 रुपये प्रति किलो हो गया।
सत्र में सामान्य ग्वार फली का भाव 10 रुपये प्रति किलो, ग्वार सीड का भाव 25 रुपये प्रति किलो और ग्वार गम का भाव 50 रुपये प्रति किलो होता है। लेकिन कुछ शरारती कारोबारियों के कारण 21 मार्च को ग्वार सीड का भाव 291 रुपये प्रति किलो और ग्वार गम का भाव 959 रुपये प्रति किलो हो गया था।
एसोचैम की निवेश समिति के चेयरमैन एस के जिंदल ने बताया, 'यह बेहद हैरानी की बात है कि पशुओं के चारे का दाम 291 रुपये प्रति किलो है, जो इंसान के भोजन से भी महंगा है। पिछले एक महीने में ग्वार का भाव 120 फीसदी, पिछले चार महीनों में 700 फीसदी और एक साल में 875 फीसदी बढ़ा है।' हालांकि कारोबारियों का कहना है कि वायदा बाजार आयोग के इस कदम से निवेशक निराश होंगे।
केडिया कमोडिटी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया कहते हैं, 'कारोबार रोकने से बाजार में सही संदेश नहीं जाता है। इससे अनिश्चितता का माहौल बनता है।' उन्होंने कहा कि इस बाजार में कम कारोबारी होने के कारण ही कीमतों में हेरफेर मुमकिन हो पाता है। (BS Hindi)

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