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29 मार्च 2012

एफएमसी की सख्ती से टूटा सरसों व चना

वायदा बाजार आयोग के सख्त रुख के बाद बुधवार को सरसों और चने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। आगे भी इनकी कीमतों में गिरावट आ सकती है। हाजिर कारोबारियों ने सरसों और चने के वायदा कारोबार पर भी रोक लगाने की मांग की है।
एफएमसी ने एक्सचेंजों से अक्टूबर 2010 से अब तक के सरसों, चना समेत अन्य तेजी से बढऩे वाली जिंसों के आंकड़े मांगे हैं। एनसीडीएक्स में चना अप्रैल अनुबंध के दाम 99 रुपये गिरकर 3608 रुपये और सरसों अप्रैल अनुबंध के दाम 88 रुपये गिरकर 3804 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर ने कहा कि एफएमसी के कड़े रुख के बाद वायदा कारोबारियों ने पुराने सौदों की बिकवाली तेज कर दी है, जिससे कीमतों में गिरावट आई है।
ऐंजल ब्रोकिंग के जिंस विश्लेषक बदरुद्दीन कहते हैं - सटोरियों को डर है कि ग्वार की तरह सरसों और चने के वायदा कारोबार पर रोक न लग जाए। इसलिए वे मुनाफावसूली के मूड में हैं। वैसे भी सरसों और चने की आवक जोर पकड़ेगी और एफएमसी भी सख्त है। इन हालात में इनके दाम बढऩे की संभावना नहीं है। राजस्थान के सरसों कारोबारी निरंजन लाल और मध्य प्रदेश के चना कारोबारी समीर भार्गव ने वायदा कारोबार पर रोक लगाने की मांग की है। एक तेल मिल मालिक ने कहा कि सरसों काफी महंगी होने से मिलों को दिक्कत हो रही है। सरकार को उद्योग और उपभोक्ताओं के हित को देखते हुए इसके वायदा कारोबार को तुरंत बंद कर देना चाहिए। (BS Hindi)

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